Pradosh Vrat 2023: 15 जून को रखा जाएगा गुरु प्रदोष व्रत, जानें व्रत कथा और पूजा विधि
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Pradosh Vrat 2023: 15 जून को रखा जाएगा गुरु प्रदोष व्रत, जानें व्रत कथा और पूजा विधि

June Pradosh Vrat: इस बार का व्रत गुरुवार 15 जून 2023 को पड़ रहा है, इसलिए इस बार के प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा. अपनी इच्छापूर्ति के लिए इस दिन गुरु प्रदोष व्रत की कथा का पाठ कर माता पार्वती व शिवजी से अपनी मनोकामना कहें व क्षमा प्रार्थना करें.

प्रदोष व्रत

Pradosh Vrat June 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं, एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष. दोनों ही पक्षों में त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत होता है, जो भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित है. इस बार का व्रत गुरुवार 15 जून 2023 को पड़ रहा है, इसलिए इस बार के प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा.

कथा

एक बार देवराज इंद्र और वृत्रासुर नामक दैत्य की सेना के बीच घोर संग्राम हुआ. सेना के नष्ट होने से क्रोधित होकर वृत्रासुर भयंकर युद्ध करने लगा. किसी भी तरह से न परास्त कर पाने पर देवता गुरुदेव बृहस्पति के पास गए और उनसे उपाय पूछा. इस पर गुरुदेव ने वृत्रासुर की पूर्व कथा बताते हुए कहा कि पूर्व जन्म में वर चित्ररथ राजा था और घोर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया था. एक बार वह कैलाश पर्वत पर गया, जहां शिवजी के साथ ही माता पार्वती भी विराजमान थीं. 

माता पार्वती को देख उसने उपहास किया कि हे प्रभो आप भी मोह माया में फंस कर स्त्री के साथ आलिंगनबद्ध होकर बैठे हैं. इस पर शिवजी ने तो हंस कर टालने का प्रयास किया, किंतु माता पार्वती ने क्रोधित होकर दैत्य होने का श्राप दिया. बाद में यही राजा वृत्रासुर बना, किंतु इस योनि में भी वह शिव भक्त ही रहा. उसके पूर्व जन्म की कथा सुनाते हुए गुरुदेव बृहस्पति ने देवराज से गुरु प्रदोष व्रत करने का सुझाव दिया. इंद्र ने व्रत को किया और उसके प्रभाव से शीघ्र ही वृत्रासुर पर विजय प्राप्त की. 

पूजा विधि

गुरु प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल समय से जागने और नित्यकर्म से निवृत्त होने के बाद पास के शिव मंदिर अथवा घर के मंदिर में शिवलिंग पर गंगाजल, गाय के दूध से स्नान कर सफेद चंदन का लेप लगाएं. इसके बाद भगवान शंकर पर बेलपत्र, अक्षत, भांग, धतूरा, शमी वृक्ष के पत्ते, सफेद फूल, शहद भस्म, शक्कर आदि समर्पित करने के साथ ही माता पार्वती के श्रृंगार का सामान चढ़ाएं. ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करने के साथ ही गुरु प्रदोष व्रत की कथा का पाठ और माता पार्वती व शिवजी से अपनी मनोकामना कहें व क्षमा प्रार्थना करें.

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