Top Ki Flop: आ गया टीवी, आ गई बिजली; लेकिन दर्शकों के आगे फिल्म की दाल नहीं गली
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Top Ki Flop: आ गया टीवी, आ गई बिजली; लेकिन दर्शकों के आगे फिल्म की दाल नहीं गली

Abhishek Bachchan Film: सितारों से भी चूक होती है. वे दोस्ती में या अन्य वजहों से ऐसी फिल्म कर लेते हैं, जिनके बारे में उन्हें अनुमान होता है कि चल नहीं पाएंगी. यही अभिषेक बच्चन के साथ हुआ. वह तब नए ही थे. रफ्यूजी से डेब्यू के बाद उन्होंने पहली बार लुक बदला था. फिल्म फ्लॉप रही मगर उनका लुक पसंद किया गया.

 

Top Ki Flop: आ गया टीवी, आ गई बिजली; लेकिन दर्शकों के आगे फिल्म की दाल नहीं गली

Lara Dutta Film: मुंबई से आया मेरा दोस्त में अभिषेक बच्चन पहली बार क्लीन शेव नहीं बल्कि हल्की-सी दाढ़ी में नजर आए थे. यह उनके करियर की नौवीं फिल्म थी. पहली आठ फिल्मों में वह लगभग एक ही लुक में आते रहे. मगर इस फिल्म में उन्होंने अपने चेहरे में हल्का बदलाव किया. दर्शकों को अभिषेक बच्चन का नया लुक तो पसंद आया लेकिन फिल्म नहीं. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप साबित हुई. 2003 में रिलीज इस फिल्म में अभिषेक बच्चन के साथ लारा दत्ता तथा चंकी पांडे की मुख्य भूमिकाएं थी. फिल्म का निर्देशन अपूर्व लखिया ने किया था. पहलाज निहलानी के बेटे विशाल निहलानी ने इस फिल्म को प्रोड्यूस किया था. अमिताभ बच्चन ने फिल्म में नरेटर की भूमिका निभाई थी.

बिजली का बाद टीवी
फिल्म राजस्थान के एक छोटे से गांव की कहानी थी जहां हाल ही में बिजली आई है. बिजली आने के बाद वहां रह रहे लोगों का जीवन कैसे बदल जाता है, यही फिल्म में दिखाया गया था. गांव का लड़का (कांजी) मुंबई में 10 से अधिक वर्षों से एक अमीर परिवार के नौकर के रूप में काम कर रहा है. जब उसे पता चलता है कि गांव में बिजली आ गई है, तो वह एक नई चीज से परिचित कराने के लिए गांव लौटता है. यह नई चीज है टीवी और एंटीना. टीवी से अनजान उस गांव के लोग इस अजूबा चीज को देखकर चमत्कृत हो जाते हैं. गांव के लोगों का जीवन टीवी आने के बाद बदल-सा जाता है. लोग पूजा पाठ छोड़कर दिन रात सिर्फ टीवी देखने में लगे रहते हैं. इसी बीच गांव के ठाकुर (यशपाल शर्मा) की बहन केसर (लारा दत्ता) तथा कांजी की लवस्टोरी भी फिल्म में चलती रहती है. चंकी पांडे इस फिल्म में एक समलैंगिक की भूमिका में थे.

समय से पीछे का सिनेमा
अभिषेक बच्चन की दूसरी फिल्मों की ही तरह इस फिल्म का भी बॉक्स ऑफिस नतीजा खराब ही रहा. इस फिल्म ने एक बार फिर साबित किया कि अभिषेक खुद के दम पर फिल्म को हिट नहीं करा सकते. हालांकि शायद उन्हें खुद ही इस बात का अहसास था कि फिल्म की कहानी में दम नहीं है, इसलिए वह दो साल तक अपूर्व लखिया को इस फिल्म के लिए मना करते रहे, लेकिन बाद में उन्होंने इस फिल्म के लिए हां कर दी. लारा दत्ता गांव की लड़की के रूप में प्रभाव नहीं छोड़ पाई. दूसरी ओर फिल्म की कहानी भी ऐसी थी जो अविश्वसनीय थी. 2003 में ऐसे गांव की कहानी बताई जा रही थी, जहां टीवी नहीं है. कहानी के साथ साथ फिल्म की स्क्रिप्टिंग तथा डायरेक्शन भी काफी कमजोर था. फिल्म में कुछ ह्यूमरस सीन थे लेकिन ऐसे कि उन्हें देखकर आपको बिल्कुल हंसी नहीं आएगी. लगान में आशुतोष गोवारिकर के साथ काम कर चुके अपूर्व लखिया ने उनकी ही तर्ज पर एक गांव की कहानी कहने की कोशिश की, लेकिन तार्किकता के अभाव में विफल रहे.

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