Narendra Dabholkar murder case: सुबह की सैर पर निकले दाभोलकर को मारी गईं थीं गोलियां, 11 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

Narendra Dabholkar murder case: मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों से पूछताछ की जबकि बचाव पक्ष ने दो गवाहों से पूछताछ की. अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपियों ने नरेंद्र दाभोलकर की हत्या इसलिए की क्योंकि वह अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चला रहे थे.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : May 10, 2024, 03:00 PM IST
  • अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चला रहे थे दाभोलकर
  • मुख्य आरोपी बताए जा रहे तावड़े को बरी किया गया
Narendra Dabholkar murder case: सुबह की सैर पर निकले दाभोलकर को मारी गईं थीं गोलियां, 11 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

Narendra Dabholkar murder case: पुणे की एक विशेष यूएपीए अदालत ( UAPA court) ने शुक्रवार को 2013 में अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने वाले डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के लिए दो लोगों को दोषी ठहराया. अदालत ने तीन अन्य को बरी कर दिया. दो हमलावरों, शरद कालस्कर और सचिन अंदुरे को दोषी ठहराया गया है. तीन अन्य आरोपियों, वीरेंद्रसिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को बरी कर दिया गया क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा.

20 अगस्त 2013 को, 67 वर्षीय प्रसिद्ध तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की पुणे के ओंकारेश्वर ब्रिज पर सुबह की सैर के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मामले में पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था.

मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों से पूछताछ की जबकि बचाव पक्ष ने दो गवाहों से पूछताछ की.

अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपियों ने नरेंद्र दाभोलकर की हत्या इसलिए की क्योंकि वह अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चला रहे थे.

CBI को मिला केस
2014 में, बॉम्बे उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो ने जांच अपने हाथ में ले ली. बाद में CBI ENT सर्जन डॉ. वीरेंद्रसिंह तावड़े को गिरफ्तार कर लिया, जो हिंदू दक्षिणपंथी संगठन, सनातन संस्था से जुड़े थे. अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि तावड़े हत्या का मास्टरमाइंड था.

दाभोलकर महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (अंधविश्वास उन्मूलन समिति, महाराष्ट्र) नाम से एक संगठन चलाते थे. अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि सनातन संस्था संगठन के काम के खिलाफ थी.

CBI ने अपनी चार्जशीट में सबसे पहले भगोड़े सारंग अकोलकर और विनय पवार को शूटर बताया था. बाद में, उन्होंने सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को यह कहते हुए गिरफ्तार कर लिया कि वे दाभोलकर के शूटर थे. एजेंसी ने बाद में वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को गिरफ्तार किया.

आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (साजिश), 302 (हत्या), शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं और यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

नहीं रुकीं हत्याएं
दाभोलकर की हत्या के बाद, अगले चार वर्षों में पूरे भारत में तीन अन्य तर्कवादियों और कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई. वे थे: गोविंद पानसरे (कोल्हापुर, फरवरी 2015), कन्नड़ विद्वान और लेखक एम एम कलबुर्गी (धारवाड़, अगस्त 2015) और पत्रकार गौरी लंकेश (बेंगलुरु, सितंबर 2017).

(PTI के इनपुट के साथ)

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