दिल लगाओ तो लगाओ दिल से दिल दिल-लगी ही दिल-लगी अच्छी नहीं
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया
मुझ से क्या हो सका वफ़ा के सिवा मुझ को मिलता भी क्या सज़ा के सिवा
उस की सूरत को देखता हूँ मैं मेरी सीरत वो देखता ही नहीं
वफ़ा का लाज़मी था ये नतीजा सज़ा अपने किए की पा रहा हूँ
रंग बदला यार ने वो प्यार की बातें गईं वो मुलाक़ातें गईं वो चाँदनी रातें गईं