चंद्रगुप्त मौर्य समाज के संस्थापक थे. वहीं चंद्रगुप्त के गुरु चाणक्य थे.
सिकंदर की सेना ने सेल्यूकस निकेटर ने भारत पर आक्रमण करने की ठानी थी और व्यास नदी को पार कर गए थे.
वहीं चंद्रगुप्त के पास हाथियों को बहुत बड़ी फौज थी. यह बात निकेटर को पता चलते ही वह अपने साथ भी हाथियों की फौज को ले आया था.
चंद्रगुप्त ने गुरु चाणक्य के कहने पर बारिश के मौसम का इंतजार किया था.
जहां लड़ाई के एक तरफ निकेटर ने हाथी को उतारा तो वहीं दूसरी तरफ चंद्रगुप्त ने घोड़ों को उत्तर दिया.
निकेटर के हथियों के सामने चंद्रगुप्त के घोड़े भारी पड़े. जिसकी वजह से सेक्युलस निकेटर चारो तरफ से फंस चुका था. अगर युद्ध एक या दो दिन और खींच जाता तो निकेटर मारा जा सकता था.
ऐसे में निकेटर ने अपनी बेटी हेलन की शादी चंद्रगुप्त से कराने का फैसला किया.
इसी के साथ ही अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए सेल्यूकस निकेटर ने चंद्रगुप्त को दहेज में पूरा पाकिस्तान और अफगानिस्तान दहेज में दे दिया था.
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