Zeb Ghauri Shayari: 'मेरे पास से उठ कर वो उस का जाना'; जेब गौरी के शेर
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Zeb Ghauri Shayari: 'मेरे पास से उठ कर वो उस का जाना'; जेब गौरी के शेर

Zeb Ghauri Shayari: जेब गौरी ने प्यार मोहब्बत पर शेर लिखे हैं. आज हम आपके सामने पेश कर रहे हैं जेब गौरी के बेहतरीन शेर. वह भारत में पैदा हुए, लेकिन उनका इंतेकाल पाकिस्तान में हुआ.

Zeb Ghauri Shayari: 'मेरे पास से उठ कर वो उस का जाना'; जेब गौरी के शेर

Zeb Ghauri Shayari: जेब गौरी उर्दू के बेहतरीन शायर हैं. वह 1928 में उत्तर प्रदेश के कानपुर में पैदा हुए. उनकी किताब 'जरर-ओ-जरखेज' और 'चाक' उनके इंतेकाल के बाद पाकिस्तान से छपी. उन्होंने पाकिस्तान के कराची में वफात पाई.

मेरे पास से उठ कर वो उस का जाना
सारी कैफ़िय्यत है गुज़रते मौसम सी

मैं लाख इसे ताज़ा रखूँ दिल के लहू से
लेकिन तिरी तस्वीर ख़याली ही रहेगी

मिरी जगह कोई आईना रख लिया होता
न जाने तेरे तमाशे में मेरा काम है क्या

छेड़ कर जैसे गुज़र जाती है दोशीज़ा हवा
देर से ख़ामोश है गहरा समुंदर और मैं

मुझ से बिछड़ कर होगा समुंदर भी बेचैन
रात ढले तो करता होगा शोर बहुत

दिल है कि तिरी याद से ख़ाली नहीं रहता
शायद ही कभी मैं ने तुझे याद किया हो

जितना देखो उसे थकती नहीं आँखें वर्ना
ख़त्म हो जाता है हर हुस्न कहानी की तरह

एक किरन बस रौशनियों में शरीक नहीं होती
दिल के बुझने से दुनिया तारीक नहीं होती

धो के तू मेरा लहू अपने हुनर को न छुपा
कि ये सुर्ख़ी तिरी शमशीर का जौहर ही तो है

ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुला
मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ

बड़े अज़ाब में हूँ मुझ को जान भी है अज़ीज़
सितम को देख के चुप भी रहा नहीं जाता

अब तक तो किसी ग़ैर का एहसाँ नहीं मुझ पर
क़ातिल भी कोई चाहने वाली ही रहेगी

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