"बहुत कुछ तुम से कहना था मगर मैं कह न पाया, लो मेरी डाइरी रख लो मुझे नींद आ रही है"
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"बहुत कुछ तुम से कहना था मगर मैं कह न पाया, लो मेरी डाइरी रख लो मुझे नींद आ रही है"

Mohsin Asrar Poetry: मोहसिन असरार उर्दू के बड़े शायर हैं. यह अपनी गजलों के लिए जाने जाते हैं. पेश हैं मोहसिन असरार के कुछ चुनिंदा शेर.

"बहुत कुछ तुम से कहना था मगर मैं कह न पाया, लो मेरी डाइरी रख लो मुझे नींद आ रही है"

Mohsin Asrar Poetry: मोहसिन असरार उर्दू के बेहतरीन शायर हैं. उनकी पैदाईश 14 अगस्त 1948 को पाकिस्तान के कराची में हुई. वह अपनी बेहतरीन गजलों के लिए जाने जाते हैं. उनकी गजलें बहुत आम फहम होती हैं. उनकी गजलें 'मिरे बारे में कुछ सोचो मुझे नींद आ रही है' और 'अच्छा है वह बीमार जो अच्छा नहीं होता' बहुत मशहूर हैं. उनकी किताब 'शोर भी है सन्नाटा भी' को लोगों ने काफी सराहा. 

जैसे सज्दे में क़त्ल हो कोई 
ऐसा होता है चाहतों का मज़ा 

जगह बदलने से हैअत कहाँ बदलती है 
जो आइना है सदा आइना रहेगा वो 

तेरी ही तरह आता है आँखों में तिरा ख़्वाब 
सच्चा नहीं होता कभी झूटा नहीं होता 

तेरे बग़ैर लगता है गोया ये ज़िंदगी 
तन्क़ीद कर रही है मिरी ख़्वाहिशात पर 

जवाब देता है मेरे हर इक सवाल का वो 
मगर सवाल भी उस की तरफ़ से होता है 

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घर में रहना मिरा गोया उसे मंज़ूर नहीं 
जब भी आता है नया काम बता जाता है 

जिस दिन के गुज़रते ही यहाँ रात हुई है 
ऐ काश वो दिन मैं ने गुज़ारा नहीं होता 

अजीब शख़्स था लौटा गया मिरा सब कुछ 
मुआवज़ा न लिया देख-भाल करने का 

जिस लफ़्ज़ को मैं तोड़ के ख़ुद टूट गया हूँ 
कहता भी तो वो उस को गवारा नहीं होता 

क्या ज़माना था कि हम ख़ूब जचा करते थे 
अब तो माँगे की सी लगती हैं क़बाएँ अपनी 

हम अपने ज़ाहिर ओ बातिन का अंदाज़ा लगा लें 
फिर उस के सामने जाने की तय्यारी करेंगे 

तू ख़ुद भी जागता रह और मुझ को भी जगाता रह 
नहीं तो ज़िंदगी को दूसरा क़िस्सा पकड़ लेगा 

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