चीन में अमेरिकी विदेश मंत्री की क्या हुई बातचीत, क्या पिघलेगी दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ?

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के पदभार ग्रहण करने के बाद से ब्लिंकन चीन की यात्रा करने वाले सर्वोच्च स्तर के पहले अमेरिकी अधिकारी हैं. वह पिछले पांच वर्षों में बीजिंग की यात्रा करने वाले पहले अमेरिकी विदेश मंत्री हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 19, 2023, 04:15 AM IST
  • ब्लिंकन की यात्रा से क्या फर्क पड़ेगा?
  • क्या दोनों देशों के रिश्तों में होगा सुधार?
चीन में अमेरिकी विदेश मंत्री की क्या हुई बातचीत, क्या पिघलेगी दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ?

बीजिंग. कुछ महीने पहले अमेरिका में दिखे जासूसी गुब्बारे को को लेकर जो बाइडन प्रशासन ने सख्ती दिखाई थी. इस विवाद में चीन और अमेरिका के रिश्ते और तल्ख हो गए थे. दरअसल कोरोना काल में दोनों देशों के बीच बढ़ी तल्खी अभी तक जारी है. लेकिन अब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन की यात्रा की है. माना जा रहा है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने का पहला कदम हो सकती है.

ब्लिंकन ने रविवार को ताइवान और यूक्रेन युद्ध सहित कई मुद्दों पर अपने चीनी समकक्ष छिन कांग के साथ व्यापक बातचीत की. ब्लिंकन ने कांग के साथ लंबी बातचीत की. ब्लिंकन की बीजिंग की दो दिवसीय यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की राजकीय यात्रा और 22 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ उनकी बैठक से पहले हो रही है. बातचीत में रक्षा सहयोग को प्रगाढ़ करने और अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया व जापान के क्वाड गठबंधन को मजबूत करने की उम्मीद है. चीन का हालांकि आरोप है कि इसका उद्देश्य उसे रोकना है.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने नहीं दी तवज्जो
ब्लिंकन की बीजिंग यात्रा से पहले, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा है कि मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान अमेरिका भारत संबंधों में 'परिवर्तनकारी क्षण' की उम्मीद है और अमेरिकी विदेश मंत्री की बीजिंग यात्रा को बहुत तवज्जो नहीं दी. सुलिवन ने 16 जून को तोक्यो में संवाददाताओं से कहा था, 'विदेश मंत्री ब्लिंकन की चीन यात्रा एक महत्वपूर्ण घटना होगी, लेकिन बात जब अमेरिकी विदेश नीति की आती है, तो यह अगले सप्ताह की सबसे महत्वपूर्ण घटना भी नहीं हो सकती है.'

क्या है यात्रा का उद्देश्य
ब्लिंकन की यात्रा को काफी हद तक वाशिंगटन और बीजिंग के बीच संचार माध्यमों को खुला रखने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, ताकि द्विपक्षीय संबंधों को 'जिम्मेदारी से प्रबंधित' किया जा सके. हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के अनुसार, विश्लेषकों का कहना है कि यह यात्रा दोनों पक्षों द्वारा संबंध बहाल करने की इच्छा का संकेत देती है, हालांकि उन्होंने इसकी सफलता की संभावनाओं को लेकर बहुत उत्साह नहीं दिखाया है. दोनों पक्षों की तरफ से अभी तक वार्ता पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है.

शनिवार को बीजिंग के लिए रवाना होने से पहले ब्लिंकन ने कहा था कि उनका एक लक्ष्य चीनी पत्र के साथ  'खुला और सशक्त संचार' स्थापित करना है. उन्होंने कहा कि वह 'सीधे और स्पष्ट रूप से कई मुद्दों पर (अमेरिका की) बहुत वास्तविक चिंताओं के बारे में बात करेंगे.' उन्होंने कहा, 'तीव्र प्रतिस्पर्धा के लिए निरंतर कूटनीति की आवश्यकता होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिस्पर्धा टकराव या संघर्ष में न बदल जाए.' 

बाइडन प्रशासन में पहली बड़ी यात्रा
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के पदभार ग्रहण करने के बाद से ब्लिंकन चीन की यात्रा करने वाले सर्वोच्च स्तर के पहले अमेरिकी अधिकारी हैं. वह पिछले पांच वर्षों में बीजिंग की यात्रा करने वाले पहले अमेरिकी विदेश मंत्री हैं. अपनी यात्रा से पहले, ब्लिंकन ने बुधवार को कांग के साथ टेलीफोन पर बातचीत की, जिस दौरान उन्होंने एक दूसरे की नीतियों पर अपनी चिंताओं को साझा किया. अमेरिका के हवाई क्षेत्र में चीन का कथित जासूसी गुब्बारा नजर आने के बाद फरवरी में ब्लिंकन ने अपनी चीन की यात्रा रद्द कर दी थी.

कांग ने ब्लिंकन से कहा कि अमेरिका को ताइवान के सवाल पर चीन की स्थिति का सम्मान करना चाहिए, चीन के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद करना चाहिए और प्रतिस्पर्धा के नाम पर चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों को कमजोर करना बंद करना चाहिए. चीन स्वशासित द्वीप ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा बताता है.

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