संविधान निर्माण के वक्त दिखी थी ऐसी भावना, CJI ने की महिला आरक्षण बिल की प्रशंसा

देश के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि इस बिल को पास करने में सभी दलों ने जैसी भावना दिखाई वह संविधान निर्माण के वक्त दिखी थी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 23, 2023, 05:55 PM IST
  • बार काउंसिल के कार्यक्रम में बोल रहे थे CJI.
  • बोले- बिल पर सभी दल 'एक स्वर में' एक साथ आए.
संविधान निर्माण के वक्त दिखी थी ऐसी भावना, CJI ने की महिला आरक्षण बिल की प्रशंसा

नई दिल्ली. संसद के दोनों सदनों से विशेष सत्र में पास किए गए महिला आरक्षण बिल की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने तारीफ की है. 
उन्होंने कहा कि संसद में गूंजे सभी दलों के प्रयासों पर गर्व होना चाहिए. उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल पर उन्होंने कहा कि ऐसी भावना संविधान के निर्माण के दौरान दिखी थी, जहां दलगत और परस्पर विरोधी विचारधाराओं से ऊपर उठकर सदस्य संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए 'एक स्वर में' एक साथ आए. सीजेआई चंद्रचूड़ बार काउंसिल ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.  

वकीलों की भूमिका पर बोले
उन्होंने कहा कि जहां न्यायपालिका कानून के शासन को बरकरार रखती है, वहीं बार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वकील व्यावसायिक दक्षता और सीमा पार लेनदेन में मदद करते हैं और राष्ट्रीय कल्याण और आर्थिक विकास में योगदान देते हैं. अब वकीलों के लिए वैश्विक परिदृश्य में दुनिया भर में पहुंचने का समय आ गया है.

केंद्र द्वारा आवंटित बजट का जिक्र
सीजेआई ने इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के लिए 7,000 करोड़ से अधिक के बजट आवंटन का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि संवैधानिक संरचना कार्यपालिका और न्यायपालिका को अलग-अलग छोर पर खड़ा कर सकती है लेकिन दोनों का उद्देश्य एक ही है- राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि.

यूपी में महिला आरक्षित सीटों पर पुरुषों को फायदा ज्यादा
एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई ऐसा राज्य है, जहां महिलाओं के लिए आरक्षण के कारण उनकी तुलना में पुरुषों को अधिक लाभ हुआ है, तो वह उत्तर प्रदेश है. रिपोर्ट में कहा गया है कि  उत्तर प्रदेश में 9.1 लाख पंचायत प्रतिनिधियों में से 3,04,638 महिलाएं हैं, फिर भी जमीनी स्तर की महिला नेताओं के ठोस और परिवर्तनकारी योगदान को दरकिनार कर दिया गया है. रिपोर्ट में एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पंचायतों में निर्वाचित महिलाओं में से बमुश्किल तीन या चार प्रतिशत ही वास्तव में अपने अधिकार का प्रयोग करती हैं.

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