8 वर्षों की कठिन मेहनत रंग लाई, जानें कौन हैं आदित्य एल-1 मिशन को सफल बनाने वाली निगार शाजी?

इसरो की ओर से प्रक्षेपित सूर्ययान आदित्य एल-1 शनिवार 6 जनवरी को सफलतापूर्वक लैंग्रेज प्वाइंट-1 पर पहुंच गया है. अब आदित्य एल-1 की मदद से सूर्य की आसपास की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी. इस सफलता के साथ इसरो ने नया इतिहास रच दिया है. इसरो की इस सफलता में एक महिला वैज्ञानिक की अहम भूमिका रही है. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Jan 7, 2024, 11:52 AM IST
  • ISRO में प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं निगार शाजी
  • 1987 में ISRO को किया ज्वाइन
8 वर्षों की कठिन मेहनत रंग लाई, जानें कौन हैं आदित्य एल-1 मिशन को सफल बनाने वाली निगार शाजी?

नई दिल्लीः इसरो की ओर से प्रक्षेपित सूर्ययान आदित्य एल-1 शनिवार 6 जनवरी को सफलतापूर्वक लैंग्रेज प्वाइंट-1 पर पहुंच गया है. अब आदित्य एल-1 की मदद से सूर्य की आसपास की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी. इस सफलता के साथ इसरो ने नया इतिहास रच दिया है. इसरो की इस सफलता में एक महिला वैज्ञानिक की अहम भूमिका रही है. आज पूरा देश इस महिला की गौरव गाथा की गान कर रहा है. हम जिस महिला वैज्ञानिक की बात कर रहे हैं, उनका नाम निगार शाजी है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो निगार शाजी ही आदित्य एल-1 प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रही थीं. 

ISRO में प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं निगार शाजी
मौजूदा समय में निगार शाजी इसरो में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. आदित्य एल-1 की सफलता निगार शाजी और टीम की 8 सालों के कठिन परिश्रम का फल है. इस प्रोजेक्ट पर निगार शाजी और उनकी टीम ने साल 2016 से लगातार परिश्रम किया है. हालांकि, 2020 के आसपास कोविड की वजह से उनका काम रुक गया था, लेकिन प्रोजेक्ट का काम कभी नहीं रुका. 

1987 में ISRO को किया ज्वाइन
साल 1987 में निगार शाजी ने विशिष्ट अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को जॉइन किया था. इस दौरान उन्होंने इसरो में अपना कार्यकाल आंध्र तट के पास श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह के साथ शुरू किया था. बाद में उन्हें बेंगलुरु के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में भेज दिया गया. यह सेंटर उपग्रहों के विकास का प्रमुख केंद्र है. शाजी पहले रिसोर्ससैट-2ए के सहयोगी परियोजना निदेशक भी रह चुकी हैं. यह प्रोजेक्ट अभी भी चालू है. 

तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ है जन्म
59 वर्षीय निगार शाजी का जन्म तमिलनाडु के तेनकासी जिले के सेनगोट्टई में एक मुस्लिम तमिल परिवार में हुआ. उनकी स्कूली शिक्षा सेनगोट्टई में हुई है. इसके बाद उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. फिर बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मिसरा से इलेक्ट्रॉनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया.  

किसान हैं निगार शाजी के पिता
निगार शाजी के पिता शेख मीरान भी मैथ में ग्रेजुएट थे. हालांकि, उन्होंने अपनी पसंद से खेती का काम चुना. निगार शादी का कहना है कि उनकी सफलता में उनके पिता का अहम योगदान रहा है. उनका कहना है कि उनके पिता ने जीवन के हर मोड़ पर उनकी बहुत मदद की है. पिता के निरंतर समर्थन की वजह से ही वह आज इतनी ऊंचाइयों को छू पाई हैं. 

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