आदमी है या चलता-फिरता मयखाना! पेट में बनती है शराब, देखकर अदालत भी रह गई दंग
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आदमी है या चलता-फिरता मयखाना! पेट में बनती है शराब, देखकर अदालत भी रह गई दंग

Belgium News: बेल्जियम का एक शख्स बड़ी दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है. उसके पेट में लगातार शराब बनती रहती है और वह खुद को नशे में पाता है. पढ़‍िए उसकी कहानी

आदमी है या चलता-फिरता मयखाना! पेट में बनती है शराब, देखकर अदालत भी रह गई दंग

Auto Brewery Syndrome Case: बेल्जियम से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. अदालत ने एक व्यक्ति को शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप से मुक्त कर दिया. पता है क्यों? क्योंकि उस व्यक्ति ने शराब पी नहीं रखी थी, बल्कि उसका शरीर ही शराब बनाता है. चौंक गए न! यह बिल्कुल सच है. अदालत में 40 साल के व्यक्ति ने साबित किया कि उसे दुर्लभ बीमारी है. वह 'ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम' (ABS) का मरीज है. यह ऐसी बीमारी होती है जिसमें पेट के भीतर शराब बनती है. यह शराब खून में मिल जाती है जिससे व्यक्ति को नशा महसूस होता है. बेल्जियन मीडिया में इस खबर से हलचल मच गई है. शख्स की वकील एंसे गेशक्वीयर ने कहा कि पूरी दुनिया में अभी तक केवल 20 लोगों में ही इस बीमारी की पुष्टि हुई है. गेशक्वीयर ने अपनी क्लाइंट की पहचान का खुलासा नहीं किया. उन्होंने यह जरूर कहा कि तीन-तीन डॉक्टरों ने टेस्ट के बाद सबूत दिए कि उनका क्लाइंट ABS से पीड़ित है.

शरीर में बनती है शराब : क्या है पूरा केस

बेल्जियम पुलिस ने अप्रैल 2022 में इस व्यक्ति की कार को रोका था. ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट ने दिखाया कि उसने शराब पी रखी थी. प्रति लीटर सांस में 0.91 मिलीग्राम अल्कोहल मिली. महीने भर बाद टेस्टिंग में उसकी सांस के भीतर 0.71 mg अल्कोहल मिली. बेल्जियम में शराब की कानूनी लिमिट 0.22 mg है. इससे पहले, 2019 में भी इस व्यक्ति को पकड़ा गया था. तब जुर्माने के साथ-साथ उसका लाइसेंस भी सस्पेंड कर दिया गया था. तब भी इस शख्‍स ने दावा किया था कि उसने शराब नहीं पी रखी है. शायद उसे भी नहीं पता था कि वह ऐसी दुर्लभ बीमारी का मरीज है. जब 2022 में उसके खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ, तब मेडिकल जांच से इसका पता लगा.

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Auto-Brewery Syndrome क्या बला है?

ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम यानी ABS बड़ी दुर्लभ मेडिकल कंडीशन है. इससे पीड़ित व्यक्ति के पेट में कार्बोहाइड्रेट्स का फर्मेंटेशन होता रहता है जिससे एथेनॉल बनती है. यह एथेनॉल छोटी आंत में अब्जॉर्ब हो जाती है. खून में अल्कोहल की मात्रा बढ़ने पर नशा होता है.

गेशक्वीयर ने बताया कि उनके क्लाइंट कम कार्बोहाइड्रेट्स वाली डाइट ले रहे हैं ताकि पेट में कम अल्कोहल बने. अभी उसकी रिहाई का औपचारिक आदेश नहीं जारी हुआ है. पुलिस चाहे तो महीने भर के भीतर फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है.

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