एमडीएच

एमडीएच मसाले फिर से सुर्खियों में हैं. विदेश में कंपनी के कुछ मसाला प्रोडक्ट्स में केमिकल का इस्तेमाल होने का आरोप लगा है जिसे एमडीएच ने सरासर गलत बताया है.

इतिहास

भले ही कंपनी फिर से सुर्खियों में हो लेकिन इसका इतिहास काफी पुराना और दिलचस्प है.

महाशय धर्मपाल गुलाटी

साल 1937 में दिवंगत महाशय धर्मपाल गुलाटी के पिता महाशय चुन्नी लाल गुलाटी ने सियालकोट (अब पाकिस्तान में) से कपड़ों, चावल, साबुन का कारोबार शुरू किया था.

महाशियां दी हट्टी

बाद में उन्होंने महाशियां दी हट्टी (MDH) की स्थापना की थी. तब उन्हें देगी मिर्च वाले के नाम से जाना जाता था.

बंटवारा

साल 1947 में बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया था.

तांगा चलाया

वह दिल्ली आए और तांगा चलाकर परिवार का पालन-पोषण करने लगे.

दुकान

बाद में जब कुछ पैसे जुटे तो उन्होंने करोल बाग में मसालों की छोटी दुकान खोली.

कारोबार

फिर उनका परिवार मसाले के कारोबार में लग गया. उन्होंने देगी मिर्च के साथ हल्दी बेचना भी शुरू किया.

बिक्री बढ़ी

बिक्री बढ़ी तो उन्होंने दिल्ली में कई जगहों पर दुकानें खोलीं.

फैक्ट्रियां

उनका कारोबार धीरे-धीरे देशभर में मशहूर होने लगा. इसके बाद उन्होंने खुद की फैक्ट्री लगाई. आज एमडीएच की देश-विदेश में कई फैक्ट्रियां हैं.