हर वक्त दौड़ती भागती दिल्ली के बीचों-बीच लाल बलुआ पत्थर से बनी एक खूबसूरत इमारत लाल किले के सामने से गुजरें तो पल भर को नजर ठहर जाती हैं.
ऐतिहासिक लाल किले को वर्ष 2007 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना गया था.
शानदार गुंबदों, बेहतरीन मेहराबों और जालीदार छज्जों से सजी यह इमारत, बेहतरीन स्थापत्य कला और बेमिसाल कारीगरी का नमूना है.
देश के इतिहास में इसके महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के बाद से हर वर्ष 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं.
इतिहास के पन्नों को पलटें तो मालूम पड़ता है कि लाल किले की नींव 1639 में 29 अप्रैल के दिन ही रखी गई थी और इसका निर्माण 1948 में पूरा हुआ था.
लाल किले का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने करवाया था और आज इस एतिहासिक इमारत को 385 साल पूरे हो गए हैं.
लाल किले में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, मोती मस्जिद, नहर-ए-बहिश्त, रंग महल, शीश महल, और हुमायूं मकबरा जैसी कई भव्य संरचनाएं हैं.
लाल किला 200 वर्षों से अधिक समय तक मुगल शासन का प्रतीक रहा है.
इस किले ने भारत के इतिहास की कई महत्वपूर्ण घटनाओं को देखा है, जैसे कि स्वतंत्रता संग्राम और 1857 का विद्रोह
इस दिन का विश्व की ऐतिहासिक इमारतों में शुमार बकिंघम पैलेस के लिए भी खास महत्व है. दरअसल 1993 में आज ही के दिन ब्रिटिश राजशाही के इस आवास को आम जनता के लिए खोल दिया गया था.