Pollution Control Material: वैज्ञानिकों ने ऐसा मटेरियल तैयार किया है जो ग्रीन हाउस गैसों को सोख लेता है. यह पृथ्वी का कार्बन फुटप्रिंट घटाने में बड़े काम आ सकता है.
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प्रदूषण का खात्मा करने की दिशा में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हाथ लगी है. यूके और चीन के वैज्ञानिकों ने एक झरझरा मटेरियल तैयार किया है. यह मटेरियल आम ग्रीन हाउस गैसों को आसानी से सोख सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, नए मटेरियल में हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की क्षमता है. उन्होंने इसे 'पिंजरों का पिंजरा' करार दिया है. वैज्ञानिकों की रिसर्च पिछले हफ्ते Nature Synthesis जर्नल में छपी है. यह मटेरियल पानी में भी बेहद स्थिर रहता है यानी इसका इंडस्ट्रियल सेटिंग में कार्बन पकड़ने में इस्तेमाल हो सकता है. स्टडी के मुताबिक, यह मटेरियल दो चरणों में बनाया जाता है. त्रिकोणीय प्रिज्म बिल्डिंग ब्लॉक्स को बड़े, अधिक सममित टेट्राहेड्रल पिंजरों में इकट्ठा किया जाता है. साइंस अलर्ट के अनुसार, यह अपनी तरह की पहली आणविक संरचना है. स्टडी के सीनियर लेखक एडिनबर्ग की हेरियट-वाट यूनिवर्सिटी में मटेरियल्स साइंटिस्ट मार्क लिटिल हैं. उन्होंने इसे 'उत्साहजनक खोज' करार दिया है.
नया मटेरियल कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) जैसी आम ग्रीन हाउस गैसों के साथ-साथ सल्फर हेक्साफ्लोराइड जैसी बेहद घातक गैसों को भी सोख सकता है. रिसर्चर्स ने इसे ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और फ्लोरीन से तैयार किया है. वैज्ञानिकों ने मटेरियल तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी इस्तेमाल किया. मार्क लिटिक के मुताबिक, 'हमारे जैसी कंप्यूटेशनल स्टडीज को नई AI तकनीकों के साथ कंबाइन करने पर नए मटेरियल की अभूतपूर्व सप्लाई तैयार हो सकती है.' AI की मदद से कार्बन पकड़ने की तकनीक अभी शुरुआती स्टेज में है. इसी साल, अमेरिका में डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के वैज्ञानिकों ने दिखाया था कि कैसे एक AI मॉडल सिर्फ 30 मिनटों में 1,20,000 मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (MOFs) तैयार कर सकता है.
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मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इंसान हर साल करीब 35 बिलियन CO2 पैदा करते हैं. हमारी पृथ्वी इसमें से आधी गैस सोख लेती है. जलवायु परिवर्तन के घातक प्रभावों से बचने के लिए हमें बाकी हिस्से को निपटाना होगा. फिर चाहे उसके लिए पेड़ लगाने पड़ें, कंक्रीट में बदलाव करना पड़े या फिर अगली पीढ़ी के 'पिंजरों का पिंजरा' जैसे मटेरियल्स तैयार करने पड़ें, मानवता को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे.