प्रेमानंद जी महाराज ने समझाया टैक्‍स का ऐसा हिसाब, वाह-वाह कर उठे भक्‍त!
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प्रेमानंद जी महाराज ने समझाया टैक्‍स का ऐसा हिसाब, वाह-वाह कर उठे भक्‍त!

Premanand Ji Maharaj: वृंदावन के मशहूर संत प्रेमानंद जी महाराज ने इस वाल का बहुत अच्‍छा जवाब दिया है कि भगवान का भजन क्‍यों करना चाहिए? साथ ही टैक्‍स का उदाहरण देते हुए सेवा कार्य का महत्‍व भी समझाया है.  

प्रेमानंद जी महाराज ने समझाया टैक्‍स का ऐसा हिसाब, वाह-वाह कर उठे भक्‍त!

Premanand Maharaj Video: प्रेमानंद महाराज जी का एकांतिक वार्तालाप सत्‍संग बहुत मशहूर है. करीब एक घंटे के इस सत्‍संग में महाराज जी भक्‍तों के प्रश्‍नों के उत्‍तर देते हैं. ऐसा ही प्रश्‍न जब पूछा गया कि नाम जप क्‍यों करना चाहिए. तब प्रेमानंद जी महाराज ने भारत सरकार द्वारा लिए जाने वाले टैक्‍स का उदाहरण देते हुए बहुत अच्‍छे से नाम जप और सेवा कार्य का महत्‍व समझाया. 

क्‍यों करें नामजप? 

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि कई लोगों के मन में यह सवाल सहज ही आता है कि जब हम अपना कमाते हैं, अपना खाते हैं तो भगवान का भजन क्‍यों करें. दूसरों को सुख क्‍यों पहुचाएं, क्‍यों उनकी सेवा करें? तो यदि आप भी ऐसा कर रहे हैं तो आप भागवतिक विधान को नहीं जानते हैं. आप पाप कर रहे हैं. 

सरकार भी लेती है टैक्‍स 

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि आपने करोड़ों रुपए कमाए. माना कि आपने बहुत मेहनत करके वो पैसे कमाए लेकिन आपने सरकार को टैक्‍स देना पड़ता है. यदि टैक्‍स नहीं दिया तो आप चोर माने जाएंगे. आपका रुपया जब्‍त हो जाएगा. आपको जेल की सजा हो जाएगी.  

ये शरीर, धरती, जल, वायु, सूर्य का प्रकाश भी ऐसा ही है. आप सूर्य की रोशनी, ऑक्‍सीजन, जल, वायु का क्‍या टैक्‍स देते हैं, जबकि इन सबका टैक्‍स होता है भले ही वह दिखाई नहीं देता है. आप धौंस में मत रहना वरना दैवीय शक्तियां सब नष्‍ट कर देंगी. आपके पास जो भी संपत्ति है, शरीर है, बुद्धि है, समाज सेवा, राष्‍ट्र सेवा, परिवार की सेवा और आपके शरीर की सेवा के लिए है. शरीर भी सेवा का पात्र है क्‍योंकि इसी से धर्म की पूर्ति की जाती है.

हो जाएगी दुर्गति 
 
अगर आप मनमाना भोग भोगेंगे कि ये आपकी संपत्ति है. आप सोचें कि इस शरीर के संपत्ति के स्‍वामी आप हैं तो आप पाप कर रहे हैं. आपके अंदर अधर्म आचरण की वृद्धि हो जाएगी. इससे आपकी दुर्गति हो जाएगी. लिहाजा हमारी बुद्धि शुद्ध हो और हम यह जानें कि हमें कैसे चलना है इसके लिए नाम जप जरूरी है. नाम जप से बुद्धि पवित्र होती है, वह बुद्धि नहीं रह जाती है बल्कि सुबुद्धि हो जाती है. बुद्धि में ज्ञान का प्रकाश आ जाता है, जिसे विवेक कहते हैं. तब मनुष्‍य जीवन सार्थक हो जाता है. यहां कुछ नहीं है, यहां आप मुक्‍त होने के लिए भेजे गए हैं. इसलिए आप अपनी, परिवार की, समाज की सेवा करो, भगवान का भजन करो तो आप मुक्‍त हो जाओगे. 

 

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