Pakistan mosque bomb blast: आपको बताते चलें कि खैबर पख्तूनख्वा, वो इलाका है जहां पर पाकिस्तान की सेना (Pakistan Army) भी जाने से डरती है. इसके एक बड़े हिस्से में तहरीक-ए-तालिबान (TTP) का सिक्का चलता है, जहां जो आतंकी चाहते हैं, वहां वैसा ही होता है.
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Suicide blast in Pakistan: उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान की एक ऐतिहासिक मस्जिद में हुए भीषण आत्मघाती हमले (Sucide Attack) में एक पुलिस अफसर की मौत हो गई. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी मीडिया से साझा की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पेशावर (Peshawar) से सटे कबायली जमरूद तहसील की अली मस्जिद (mosque blast) मे हुए धमाके में अतिरिक्त थाना प्रभारी (SHO) अदनान अफरीदी की मौत हो गई.
खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) के आईजी पुलिस अख्तर हयात खान गंडापुर ने बताया कि ये एक आत्मघाती हमला था. अली मस्जिद में प्रवेश से पहले सिक्योरिटी चेकिंग के दौरान हमलावर ने खुद को विस्फोट करके उड़ा लिया. पुलिस ने बताया कि हमलावर का एक साथी मौके से फरार हो गया जबकि घटनास्थल से एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया है. आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) द्वारा बीते साल नवंबर 2022 में पाकिस्तान की सरकार (Pakistan Government) के साथ समझौता तोड़ने के बाद लगातार ऐसे मामले बढ़े हैं. अब इस आत्मघाती धमाके को भी खैबर पख्तूनख्वा (KP) और बलूचिस्तान में बढ़ी आतंकवादी गतिविधियों से जोड़कर देखा जा रहा है.
खैबर पख्तुनवा में बढ़े सुसाइड ब्लास्ट के आंकड़े
इससे पहले जनवरी में, पेशावर में एक आत्मघाती बम धमाके में करीब 100 लोग मारे गए थे और लगभग 200 घायल हुए थे. वह मस्जिद पेशावर के हाई सिक्योरिटी जोन यानी पुलिस लाइन्स में स्थित थी और अधिकांश मृतक पुलिस कर्मी थे. उस धमाके में एक पुलिस उपाधीक्षक (DSP), 5 पुलिस उप-निरीक्षक (SI), और मस्जिद के मौलाना साहिबजादा नूरुल अमीन शामिल थे. उस धमाके की जिम्मेदारी आतंकी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने ली थी. पाकिस्तान स्ट्रैटेजिक फोरम के स्ट्रैटकॉम ब्यूरो के एक ट्वीट के मुताबिक, पिछले साल 18 जून 2022 से 18 जून 2023 तक KB प्रांत में 665 आतंकी हमले हुए. जिनमें 15 आत्मघाती बम विस्फोट भी शामिल थे. पिछले साल के आंकड़ों की तुलना में 500 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है
आपको बताते चलें कि खैबर पख्तूनख्वा, वो इलाका है जहां पर पाकिस्तान की सेना (Pakistan Army) भी जाने से डरती है. इसके एक बड़े हिस्से में तहरीक-ए-तालिबान (TTP) का सिक्का चलता है, जहां जो आतंकी चाहते हैं, वहां वैसा ही होता है. इन आतंकवादियों को रोकने की ताकत न तो पाकिस्तान की सेना के पास है, न पाक रेंजर्स के पास. पाकिस्तान की पुलिस की वहां कोई पूछ नहीं है.