ईपीएफओ ने Higher Pension का विकल्प चुनने के लिए बढ़ाई डेडलाइन, 3 मई तक करना होगा ये काम
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ईपीएफओ ने Higher Pension का विकल्प चुनने के लिए बढ़ाई डेडलाइन, 3 मई तक करना होगा ये काम

EPFO Deadline: ईपीएफओ ने अंशधारकों के लिए उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए समयसीमा बढ़ा दी है. अब इन्हें 3 मई 2023 तक आवेदन करना होगा. उन कर्मचारियों को परमिशन मिली है जो 1 सितंबर 2024 तक मौजूदा ईपीएस मेंबर रहेंगे

ईपीएफओ ने Higher Pension का विकल्प चुनने के लिए बढ़ाई डेडलाइन, 3 मई तक करना होगा ये काम

EPFO: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अंशधारकों (Shareholders) के लिए हायर पेंशन का विकल्प चुनने के लिए डेडलाइन बढ़ा दी है. ईपीएफओ ने इसके लिए अब 3 मई की समयसीमा निर्धारित की है. जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर 2022 को उन कर्मचारियों को एक और बदलाव की परमिशन दी थी, जो 1 सितंबर 2024 तक मौजूदा कर्मचारी पेंशन योजना यानी कि ईपीएस मेंबर रहेंगे. ये मेंबर पेंशन के लिए अपने वास्तविक सैलरी का 8.33 फीसदी तक योगदान कर सकते हैं. अगर पेंशन योग्य वेतन का 8.33 फीसदी  15,000 रुपये प्रति माह है.

डेडलाइन आगे बढ़ा दी गई
दरअसल, कोर्ट ने कर्मचारियों को हायर पेंशन के ऑप्शन का सिलेक्शन के लिए 4 महीने का समय दिया था. यह समय सीमा 3 मार्च 2023 तक की थी. कोर्ट की परमिशन मिलने के बाद ईपीएफओ ने फरवरी 2023 में कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत हायर पेंशन का विकल्प चुनने की प्रक्रिया की शुरुआत की थी. ईपीएफओ ने कहा, ' जॉइंट ऑप्शन फाइल करने के लिए ऑनलाइन सुविधा जल्द ही आ रही है.'

कहा जा रहा था कि ईपीएफओ ने इस मामले में फैसला लेने में काफी देरी कर दी है, जिससे अंशधारकों को कम समय मिलेगा. ऐसे में यही संभावना जताई जा रही थी कि इस प्रक्रिया की समयसीमा आगे बढ़ाई जा सकती है. हालांकि, ऐसा हुआ भी कि ईपीएफओ ने डेडलाइन आगे बढ़ाकर 3 मई कर दी. 

ये कर्मचारी चुन सकेंगे इस विकल्प को 
ईपीएफओ ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इस संबंध में नोटिस जारी किया है. इसके मुताबिक 'ऐसे कर्मचारी जो 1 सितंबर 2014 से पहले सेवा में थे और 1 सितंबर 2014 को या उसके बाद सेवा में बने रहे, लेकिन कर्मचारी पेंशन योजना के तहत संयुक्त विकल्प का उपयोग नहीं कर सके हैं, वे अब 3 मई 2023 या उससे पहले ऐसा कर सकते हैं.'

इस समय कर्मचारी और कंपनी दोनों ही एम्प्लाई के वास्तविक वेतन, महंगाई और रिटेनिंग भत्ते (अगर कोई हो तो) का 12 प्रतिशत ईपीएफ में योगदान करते हैं. कर्मचारी का पूरा योगदान ईपीएफ में जाता है. जबकि, कंपनी की ओर से कर्मचारी को दिया जाने वाला 12 प्रतिशत योगदान ईपीएफ में 3.67 प्रतिशत और ईपीएस में 8.33 प्रतिशत के तौर पर बांटा जाता है. केंद्र सरकार एक कर्मचारी की पेंशन में 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है, जबकि कर्मचारियों का इस पेंशन योजना में कोई योगदान नहीं होता. 

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