Akhilesh Yadav in Ghazipur: अखिलेश यादव रविवार को लखनऊ से वाराणसी होते हुए गाजीपुर पहुंचे. वहां वो मुख्तार अंसारी के परिजनों से मिलेंगे, जिसकी हाल ही में बांदा जेल में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी.
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Akhilesh Yadav in Ghazipur: समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव रविवार को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के घर पहुंचे. वो लखनऊ से वाराणसी एयरपोर्ट गए और वहां से हेलीकॉप्टर के जरिये गाजीपुर पहुंचे. गाजीपुर में मुख्तार के घर पर समाजवादी पार्टी के नेताओं और अंसारी परिवार के लोगों का जमावड़ा पहले से ही था. मुख्तार अंसारी की एक हफ्ते पहले बांदा जेल में हार्ट अटैक के बाद मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी. उसके परिवार वालों ने धीमा जहर देने का आरोप जेल प्रशासन पर लगाया था. हालांकि पोस्टमार्टम में उसकी मौत का कारण हार्ट अटैक ही निकला.
अखिलेश ने गाजीपुर मोहम्मदाबाद पहुंचने के बाद कहा, मुख्तार अंसारी के परिजनों जो सवाल उठाए हैं. उसकी जांच होनी चाहिए.
इस सरकार में सबसे अधिक हिरासत में मौतें हुई हैं, उनकी जांच होनी चाहिए. मुख्तार अंसारी की आपराधिक पृष्ठभूमि के सवाल पर सपा प्रमुख ने कहा, परिवार की छवि जो दिखाई जा रही है, वो छवि इस परिवार की नहीं है.इनके दादा परदादा स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे हैं. सरकार को सच्चाई सामने लानी चाहिए. मुख्तार के अंतिम दर्शन में इतने लोग आए थे. वो बताता है कि वो कितने लोकप्रिय थे. परिवार के लोगों ने आम लोगों के लिए कितना काम किया था. ये तानाशाह सरकार है. इनके सीएम और डिप्टी सीएम की भाषा देखिए. अगर सरकार अगले साल फिर से आई तो पुलिस वालों की भी नौकरी 2 साल की हो जाएगी.
अखिलेश यादव गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को पहले ही गाजीपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर चुके हैं. हालांकि ये बात और है कि इन्हीं मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी को लेकर अखिलेश ने स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव से बगावत कर दी थी. जून 2016 में जब समाजवादी पार्टी के बड़े नेता और पीडब्ल्यूडी मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने मुख्तार-अफजाल अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का सपा में विलय करना चाहा तो तत्कालीन मुख्यमंत्री औऱ प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीखा विरोध किया था.
अखिलेश कतई नहीं चाहते थे कि आपराधिक छवि वाले मुख्तार अंसारी या डीपी यादव जैसे लोगों को पार्टी में लाया जाए. तब गाजीपुर में सपा और कौमी एकता दल की एक साथ होने वाली रैली में भी अखिलेश ने जाने से साफ इनकार कर दिया था.
इस मुद्दे पर जून 2016 में समाजवादी पार्टी के संसदीय दल की बैठक बुलाई गई. इसमें कौमी एकता दल के सपा में विलय के फैसले को अखिलेश और उनके समर्थकों के तीखे विरोध के बाद खारिज करना पड़ा. हालांकि अखिलेश यादव ने भी थोड़ी नरमी दिखाते हुए सपा सरकार से बर्खास्त मंत्री बलराम यादव का ओहदा बहाल कर दिया था.
खुद सपा के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने इसका ऐलान किया कि मुलायम सिंह यादव ने मुख्तार अंसारी के राजनीतिक दल कौमी एकता दल का विलय खत्म कर दिया है. मुख्तार अंसारी को लखनऊ से वापस आगरा जेल भेजने का फैसला भी लिया गया. यह भी तय हुआ कि 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले अखिलेश यादव फिर प्रचार रथ के जरिये पूरे राज्य का दौरा करेंगे.
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