कब है सावन का पहला प्रदोष व्रत, इस दिन भगवान भोलेनाथ की होती है खास कृपा, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
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कब है सावन का पहला प्रदोष व्रत, इस दिन भगवान भोलेनाथ की होती है खास कृपा, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Sawan Pradosh Vrat 2023  : इस बार सावन में 4 प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं. सावन में प्रदोष व्रत का अपना ही महत्‍व है. वैसे तो हर प्रदोष पर भगवान शिव की पूजा की जाती है. हालांकि सावन के प्रदोष पर व्रत रखने का खास महत्‍व है. मान्‍यता है कि सावन के प्रदोष पर व्रत करने से भगवान भोलेनाथ हर मनोकामना पूर्ण  करते हैं. 

फाइल फोटो

Sawan Pradosh Vrat 2023 : सावन का महीना शुरू हो गया है. कल यानी 10 जुलाई को सावन का पहला सोमवार पड़ रहा है. वहीं, इस बार सावन में 4 प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं. सावन में प्रदोष व्रत का अपना ही महत्‍व है. वैसे तो हर प्रदोष पर भगवान शिव की पूजा की जाती है. हालांकि सावन के प्रदोष पर व्रत रखने का खास महत्‍व है. मान्‍यता है कि सावन के प्रदोष पर व्रत करने से भगवान भोलेनाथ हर मनोकामना पूर्ण  करते हैं. 

सावन में चार प्रदोष व्रत 
बता दें कि इस बार सावन 59 दिनों का है. इस वजह से सावन में इस बार 4 प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं. पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई 2023, दिन शुक्रवार को पड़ रहा है. पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई 2023 को रात 07 बजकर 17 मिनट से शुरू हो रही है. 15 जुलाई 2023 को रात 08 बजकर 32 मिनट पर इसका समापन होगा. इस दिन प्रदोष काल में ही शिव जी की पूजा की जाती है, इसलिए 14 जुलाई को शुक्र प्रदोष व्रत रखा जाएगा. 

ऐसे करें पूजा 
सावन के प्रदोष पर सुबह उठकर स्‍नान कर पूजा की जाती है. उसके बाद पूजा घर में दीपक जलाएं जाते हैं. साथ ही व्रत का संकल्प लिया जाता है. पूरे दिन व्रत रखते हुए प्रदोष काल में शिव जी की पूजा और उपासना करें. इसके बाद शाम को पूजा के दौरान दूध, घी और गंगाजल से बने पंचामृत से भगवान शिव को जलाभिषेक कराएं.  

हर मनोकामना होती है पूर्ण 
इसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा के पास धूप-दीप जलाकर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें. अंत में शिवजी की आरती करके पूजा समाप्त करें. ऐसा करने मात्र से भगवान भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है. साथ ही पुण्‍य की प्राप्ति होती है. अगर मन में किसी मनोकामना को लेकर व्रत करते हैं तो वह भी पूरी होती है. कहा जाता है कि सावन में प्रदोष व्रत रखने वालों पर शिव जी मेहरबान रहते हैं. प्रदोष व्रत के प्रभाव से जातक को वैवाहिक सुख, संतान सुख, धन प्राप्ति और शत्रु-ग्रह बाधा से मुक्ति मिलती है. 
 
कब तक रहता है प्रदोष काल 
प्रदोष व्रत में शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होता है और 45 मिनट बाद तक मान्य होता है. मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव के साथ मां पार्वती की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. हर दुख दूर होता है. घर से आर्थिक तंगी भी दूर होती है. 

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