Fatehpur Loksabha Seat: क्‍या फतेहपुर लोकसभा सीट पर तीसरी बार खिलेगा 'कमल' या सपा-कांग्रेस गठबंधन करेगा कमाल, जानें सियासी समीकरण
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Fatehpur Loksabha Seat: क्‍या फतेहपुर लोकसभा सीट पर तीसरी बार खिलेगा 'कमल' या सपा-कांग्रेस गठबंधन करेगा कमाल, जानें सियासी समीकरण

Fatehpur Loksabha Seat: फतेहपुर जिला लोकसभा (Lok Sabha Election) क्षेत्र के रूप में 1957 में अस्तित्व में आया था. यहां 1957 में पहला चुनाव हुआ. अब तक इस लोकसभा सीट पर 16 बार चुनाव हो चुके हैं.

Fatehpur Loksabha Chunav 2024

Fatehpur Loksabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर उत्तर प्रदेश समेत देश भर में तैयारियां जारी हैं. सभी राजनैतिक दलों में चुनाव जीतने की होड़ नजर आने लगी है. जनता का वोट पाने के लिहाज से अलग-अलग पार्टियां तमाम वादे कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं. इन 80 सीटों पर मुख्य मुकाबला एनडीए वर्सेज इंडी गठबंधन का है. आज हम आपको 49वीं लोकसभा फतेहपुर का सियासी समीकरण बताने जा रहे हैं, तो आइये जानते हैं....

फतेहपुर 4,152 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, यहां की औसत साक्षरता दर 77.69% है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की जनसंख्या 2,632,733 है. यह जिला पवित्र नदियों गंगा और यमुना के तट पर स्थित है. फतेहपुर जिला इलाहाबाद डिवीजन का हिस्सा है. फतेहपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधान सभा क्षेत्र आते हैं, जिनके नाम हैं जहनाबाद, बिन्दकी, फतेहपुर,अयाह शाह, खागा और हुसैनगंज, जिसमें से खागा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 

1957 में अस्तित्व में आई थी फतेहपुर लोकसभा सीट 
फतेहपुर जिला लोकसभा (Lok Sabha Election) क्षेत्र के रूप में 1957 में अस्तित्व में आया था. यहां 1957 में पहला चुनाव हुआ. अब तक इस लोकसभा सीट पर 16 बार चुनाव हो चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा पांच बार कांग्रेस, चार बार बीजेपी, दो-दो बार जनता दल और बसपा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. वहीं सपा और लोक दल के प्रत्याशियों को एक-एक बार जीत मिली. इसके अलावा 1962 में निर्दलीय उम्मीदवार को इस सीट पर कब्जा रहा. 

कब कौन किस पार्टी से बना सांसद? 
फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र का गठन होने के बाद 1957 में पहली बार हुए चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार अंसार हरवानी विजयी हुए. वह यहां के पहले सांसद बने थे. 1962 के चुनाव में गौरी शंकर सांसद बने. वह निर्दलीय उम्मीदवार थे. वहीं 1967 और 19771 में कांग्रेस के संत बक्श सिंह लगातार चुनाव जीते. इसके बाद जनता पार्टी के प्रत्याशी बशीर अहमद 1977 में जबकि 1978 में सैय्यद लियाकत हुसैन सांसद बने. 

1980 और 84 में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे हरिकिशन शास्त्री कांग्रेस के टिकट पर लगातार दो बार सांसद बने. वहीं 1989 और 91 के चुनाव में जनता दल के विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जीत हासिल कर देश के प्रधानमंत्री बने. 1996 में बहुजन समाज पार्टी के विशंभर प्रसाद निषाद, 1998 और 99 में बीजेपी के अशोक कुमार पटेल, 2004 में बसपा के महेंद्र निषाद और 2009 में समाजवादी पार्टी के राकेश सचान सांसद बने. 

दो बार से बीजेपी का कब्जा 
2014 की मोदी लहर में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई. साध्वी निरंजन ज्योति यहां से सांसद बनी. 2019 में भी साध्वी निरंजन ज्योति लगातार दूसरे बार कुर्सी पर काबिज हुए. मौजूदा वक्त में साध्वी निरंजन ज्योति जिले की संसद व केंद्रीय मंत्री भी हैं. 

वर्ष, सांसद, पार्टी 
1957 अंसार हरवानी, कांग्रेस 
1962 गौरी शंकर, स्वतंत्र राजनीतिज्ञ 
1967 संत बक्स सिंह, कांग्रेस
1971 संत बक्स सिंह, कांग्रेस 
1977 बशीर अहमद, जनता पार्टी 
1978 लियाकत हुसैन, जनता पार्टी 
1980 हरि कृष्ण शास्त्री, कांग्रेस 
1984 हरि कृष्ण शास्त्री, कांग्रेस 
1989 विश्वनाथ प्रताप सिंह, जनता दल 
1991 विश्वनाथ प्रताप सिंह, जनता दल 
1996 विशंभर प्रसाद निषाद, बसपा 
1998 अशोक कुमार पटेल, भाजपा 
1999  अशोक कुमार पटेल, भाजपा 
2004 महेंद्र प्रसाद निषाद, बसपा 
2009 राकेश सचान, समाजवादी पार्टी 
2014 निरंजन ज्योति, भाजपा 
2019 निरंजन ज्योति, भाजपा

क्या है जातीय समीकरण? 
फतेहपुर की 86 प्रतिशत आबादी हिंदू और 13 प्रतिशत मुस्लिमों की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां 19 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं. इनमें से करीब 4 लाख एससी, 3 लाख क्षत्रिय, ढाई लाख ब्राह्मण, 2 लाख निषाद (केवट), डेढ़ लाख मुस्लिम, एक लाख 20 हजार वैश्य व एक लाख 10 हजार यादव के अलावा अन्य जाति के वोटर्स हैं.  

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