चंबल नदी से जुड़ी हुई कई कहानियां देश भर में प्रसिद्ध है. ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं चंबल नदी के अपवित्रता की कहानी के बारे में.
ये बात द्वापर युग की है, इस युग में द्रौपदी ने चंबल नदी को श्राप दिया था.
महाभारत काल में चंबल नदी के किनारे ही कौरवों और पांडवों के बीच शतरंज का खेल हुआ था. इसमें पांडव द्रौपदी को दुर्योधन से हार गए थे.
इसके बाद ही द्रौपदी ने क्रोध में आकर चंबल की पूजा-अर्चना से परहेज किए जाने का श्राप दिया था.
इसके अलावा कहा जाता है कि राजा थे रंतिदेव जिन्होंने यज्ञ के लिए हजारों जानवरों की बलि दे दी थी.
बलि देने के बाद उसका खून बहा दिया था. जिसके बाद खून ने नदी का रूप ले लिया था. जिसकी वजह से इसे अपवित्र माना जाता है,
चंबल मध्य भारत की प्रमुख नदी है, जो मध्य प्रदेश में विंध्य रेंज से महू के जानापाव से निकलती है.
चंबल नदी एमपी से निकलने के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य से होकर बहती है. इसकी 11 सहायक नदी है.
गंगा, यमुना की तरह इस नदी की पूजा नहीं की जाती है. इस नदी के अलावा भारत की कई और नदियां श्रापित हैं.