महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने कर्ण को समझाने का प्रयास किया था. साथ ही साथ पांडवों के साथ आने की बात कही थी. साथ ही साथ कृष्ण ने बताया की कर्ण तुम कुंती के पुत्र हो. इसके अलावा कर्ण से कृष्ण ने महाभारत युद्ध रोकने के लिए ये कहकर भीख भी मांगी थी.
अपने रथ पर बैठाने के बाद कृष्ण ने कर्ण को समझाते हुए कहा कि तुम कुंती के पहले पुत्र हो और अपने भाईयों (पाडवों) को दुश्मन समझते हो.
साथ ही साथ कृष्ण ने कहा कि अब मेरे रथ पर ही सवार रहो और वहां चलो (पांडव दल में) जहां तुम्हारे सारे भाई हैं.
तुम जब पांडवों के दल में चलोगे तो युधिष्ठिर चमर डोलाएंगे और तुम्हारे कमरे के दरवाजे पर अर्जुन खड़े रहेंगे.
तुम्हारे जाने के बाद कुंती अपनी खोई हुई मणि वापस पा जाएंगी और फिर ये खुशी पाकर गदगद हो जाएंगी.
आगे समझाते हुए कहा कि हे कर्ण तुम्हारे ऐसा करने पर कुरुराज अपने आप ही झुक जाएगा और फिर ये महाभारत युद्ध टल जाएगा.
अपने रथ पर बैठाने के बाद कहा कि कुरुराज तुम्हें दे देता हूं साम्राज्य समर्पण करता हूं तुम ये मुकुट ले लो बस एक भीख मुझे दे दो,
तुम कौरवों को छोड़ दो और धरती पर होने वाले सारे शोक को हर लो और हमारे साथ पांडवों के दल में चलो.
कृष्ण के भीख मांगने के बाद भी कर्ण अडिग रहा और उसने कहा कि अगर मैं पीछे हट जाऊंगा तो कायर कहलाऊंगा.