बस्तर में रहने वाले आदिवासी लाल चींटी की चटनी बड़े चाव से खाते हैं.
लाल चींटी की चटनी यहां लगने वाले साप्ताहिक बाजार में भी पत्तों के दोने में मिलती है.
स्थानीय लोग इस चटनी को चापड़ा चटनी कहते हैं.
इस चटनी में आयरन और कैल्शियम पाया जाता है.
आदिवासियों का मानना है कि इसे खाने से मलेरिया और पीलिया जैसी बीमारियों से आराम मिलता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक चींटी की चटनी से शरीर में कोई नुकसान नहीं होता है.