बाघ के खूनी पंजे का शिकार हुआ किसान, इलाज के लिए इंदौर ले जाते समय तोड़ा दम
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बाघ के खूनी पंजे का शिकार हुआ किसान, इलाज के लिए इंदौर ले जाते समय तोड़ा दम

खरगोन जिले के गांव गवला में टाइगर के हमले से घायल हुए युवक की मौत के बाद एसडीएम भीकनगांव ने युवक की मौत की पुष्टि की है. सरकार से मदद को लेकर बताया कि सरकार द्वारा तय सहायता  मृतक के परिवार को आर्थिक मदद के रूप में मिलेगी.

बाघ के खूनी पंजे का शिकार हुआ किसान, इलाज के लिए इंदौर ले जाते समय तोड़ा दम

राकेश जयसवाल/खरगोन: खरगोन जिले के गांव गवला में टाइगर के हमले से घायल हुए युवक की मौत के बाद एसडीएम भीकनगांव ने युवक की मौत की पुष्टि की है. सरकार से मदद को लेकर बताया कि सरकार द्वारा तय सहायता  मृतक के परिवार को आर्थिक मदद के रूप में मिलेगी. वहीं इलाके में बाघ की सर्चिंग को लेकर वन विभाग की टीम तैनात होने की बात कही है.

विधायक राम दांगोरे सीएम शिवराज से मदद की बात की
पंधाना विधायक राम दांगोरे ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से मृतक की मदद को लेकर गुहार लगाई थी. जिसके बाद सीएम ने आठ लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है. विधायक राम दांगोरे ने बताया कि संतोष का शव परिजनों को सौंपकर गृह गांव खरगोन जिले के गवला रवाना किया गया है. विधायक ने अस्पताल में इलाज में लापरवाही की शिकायत मिलने पर डॉक्टर को हटाने को लेकर भी बात कही है. 

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क्या है पूरा मामला
बता दें कि खरगोन जिले के खोशालिया बाबा जंगल इलाके में टाइगर अचानक आने से हड़कंप मच गया था. ग्रामीण रहवासी इलाके के नजदीक खेत में उसे देखकर फिल्म नटवरलाल की तरह झुंड में लकड़ी लेकर भगाने के प्रयास करते रहे. इसी दौरान गवला के जंगल में बाघ ने हमला कर संतोष को घायल किया था. संतोष हमले के बाद भी उपचार के दौरान पंधाना स्वास्थ केंद्र में अच्छी बात कर रहा था. 
उसने बाघ से रूबरू होने की बात खुद मुंह जुबानी बताई थी. मगर बाद में संतोष की हालत बिगड़ी तो उसे खंडवा रेफर किया गया. खंडवा से आज और हालत बिगड़ने पर इंदौर रेफर किया गया. इसी दौरान सनावद में संतोष की मौत हो गई. बाघ के हमले से जख्मी गवला निवासी संतोष भास्करे की उम्र 28 वर्ष थी. संभवत बताया जा रहा है. खून की कमी या टाइगर पंजे के इन्फेक्शन से मौत हुई है.

वन अमला बाग की सर्चिंग कर रहा
इधर दूसरे दिन बाघ इलाके में कहीं नही दिखा है.वन अमला सर्चिंग कर रहा है एसडीओ दिनेश वास्कले ने अपील भी जारी की थी. ग्रामीण बाघ को नहीं छेड़े और उसे लौट जाने के लिए एकांत होने का मौका दे. दिनभर नहीं दिखने से यह अंदाजा लगाया जा रहा बाघ जिधर से आया था उस जंगल में लोट गया है.

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