MP में कथावाचकों का बढ़ता बोलबाला! अचानक लाइमलाइट में आना राजनीतिक एजेंडा या धार्मिक
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MP में कथावाचकों का बढ़ता बोलबाला! अचानक लाइमलाइट में आना राजनीतिक एजेंडा या धार्मिक

MP Religious Issues Politics 2023: चुनाव प्रचार में रैलियों और भाषणों का आयोजन कर मतदाओं को लुभाना एक आम बात है. लेकिन इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नेता कुछ अलग ही तरीके अपना रहे हैं. राज्य में चाहे भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही इस बार चुनाव प्रचार के लिए क्षेत्र में कथावाचकों को उतार दिया है. आइए जानते हैं कौन-कौन हैं वो कथावाचक जो मध्य प्रदेश की सियासत में सक्रिय नजर आ रहे हैं. 

MP में कथावाचकों का बढ़ता बोलबाला! अचानक लाइमलाइट में आना राजनीतिक एजेंडा या धार्मिक

Storyteller Entry in MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव होने में अभी कुछ महीने बाकी हैं, लेकिन प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है. जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनेताओं की बयानबाजी तेज होती जा रही है. इस बार एक बार फिर मध्य प्रदेश की राजनीति में राजनेताओं के अलावा साधु-संतों और कथावनाचकों की भी एंट्री हो गई है. इन दिनों मध्य प्रदेश में कथावाचक धार्मिक मुद्दे को लेकर खूब बयानबाजी कर रहे हैं. इतना ही नहीं इन बाबाओं के दरबार में कई दिग्गज राजनेता भी हाजिरी लगा रहे हैं. हालांकि प्रदेश की सियासय में बाबाओं और नेताओं का गठजोड़ बहुत पुराना है. साधु-संतों के द्वारा जमीनी स्तर पर पकड़ बनाकर नेता सत्ता पर कब्जा करने में बहुत पहले से माहिर हैं. लेकिन अचानक से बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री, सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा का अंतराष्ट्रीय लेवल पर पॉपुलर होना कहीं न कहीं मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है, क्योंकि राजनेता अपने-अपने क्षेत्र में वोटरों को लुभाने के लिए बाबाओं के कथा का आयोजन करा रहे हैं. ऐसे में कयास लगाएं जा रहे हैं कि क्या इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे पर होगा? चलिए जानते हैं मध्य प्रदेश के राजनीति में सक्रिय बाबाओं के बारे में...

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में भाजपा के साथ साथ कांग्रेस के नेता भी जगह-जगह भागवत कथा और भंडारे का आयोजन करा रहे हैं. इस तरह के आयोजन श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित करते है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो प्रदेश में इन दिनों प्रदीप मिश्रा, जया किशोरी, बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, अवधेशानंद गिरी, देवकीनंद ठाकुर, पंडोखर सरकार, रावतपुरा सरकार समेत कई धार्मिक संत राजनीति में सक्रिय नजर आ रहे हैं. इनमें से कई कथावाचकों की भागवत कथा का आयोजन भी इन दिनों प्रदेश में तेजी से चल रहा है. 

माहौल बनाने का काम करते हैं संत
गौरतलब है कि उमा भारती के सियासी उदय के बाद मध्य प्रदेश की सियासत में साधु-संतों की एंट्री तेजी से होने लगी. वहीं मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में कम्प्यूटर बाबा, भैयूजी महाराज, हरिहरनंद जी महाराज समेत कई संत सक्रिय रहें. बता दें कि चुनावी साल में जनता को आकर्षित कर अपने तरफ माहौल बनाने के लिए इन बाबाओं की जरूरत होती है. जो राज्य में किसी भी मुद्दे बेबाक बात करते हैं और जनता के बीच माहौल बनाने के लिए तैयार रहते हैं. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, निमाड़ और मालवा भाग में कथा का बहुत ज्यादा प्रचलन है. ऐसे राजनेता अपने इलाके में प्रसिद्ध कथावाचकों को बुलाकर कथा करवाते हैं और माहौल बनाने का काम करवाते हैं. यहां तक की कई बार तो संत नेताओं के लिए वोट मांगने का भी काम रते हैं. जिस विधानसभा में कांटे की टक्कर होती है वहां साधु-संतों की भूमिका बढ़ जाती है.

बागेश्वर धाम सरकार
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं. लाखों भक्त इन्हें चमत्कारी संत बता रहे हैं. इनके बारे में ऐसा बताया जाता है कि ये बाबा लोगों से बिना कुछ पूछे ही उनके समस्या के बारे में बता देते हैं. हर रोज बागेश्वर धाम के दरबार में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इतना ही नहीं इनके दरबार में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कांग्रेस नेता कमलनाथ, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और नितिन गडकड़ी जैसे कई राजनीतिक दिग्गज भी माथा टेक चुके हैं. बाबा के दरबार में बड़े-बड़े राजनेताओं के जानें पर जब इनसे पूछा गया कि क्या आप राजनीति में एंट्री करने वाले हैं तो उन्होंने बताया कि नहीं राजनीति से हमारा कोई मतलब नहीं है. धर्म अलग विषय है और राजनीति अलग विषय है. हालांकि अभी हाल ही में मैहर विधायक ने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कथा आयोजन कराने वाले थे. जिसे उन्होंने कैंसिल कर दिया है. जिसको लेकर अब सियासत गर्मा गई है और विपक्ष का कहना है कि बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भाजपा के प्रचारक हैं. 

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प्रदीप मिश्रा
वहीं सीहोर वाले महाराज के नाम से प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा भी मध्य प्रदेश के राजनीति में सक्रिय नजर आ रहे हैं. राजनीतिक बयानबाजी को लेकर इन दिनों चर्चा में बनए हुए हैं. कुछ समय पहले उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'मोदी है तो हिंदू है'. वहीं अब कांग्रेस नेता कमलनाथ पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा छिंदवाड़ा में कराने के लिए समय मांग रहे हैं. ऐस में यह कयास लगाया जा रहा है कि कमलनाथ कहीं न कहीं चुनावी फायदा के लिए कथा का आयोजन करा रहे हैं. प्रदीप मिश्रा धर्मातरण के मुद्दे को भी कई बार उठा चुके हैं. इन्होंने अपने एक कथा के दौरान कहा था कि, राजनीति में धर्म रहा है, चाहे केंद्र हो या राज्य, धर्म के अनुसार राजनीति को बढ़ाया जाए तो राजा और प्रजा दोनों सुखी होंगे. हालांकि ये बात अलग है कि मशहूर कथावाचक प्रदीप मिश्रा खुद को राजनीति में शामिल होने से इंकार कर रहे हैं.

पंडोखर सरकार
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे वैसे पंडोखर सरकार भी काफी चर्चा में हैं. पंडोखर मध्य प्रदेश के दतिया में है. पंडोखर धाम के गुरुशरण महाराज भी बागेश्वर धाम सरकार की तरह ही दरबार लगाते हैं और पर्चे पर लोगों की समस्या का समाधान बताते हैं. इनके दरबार में भी बड़े बड़े नेता हाजिरी लगाते हैं. हालही में भिंड के अटेर विधानसभा के पूर्व विधायक हेमंत कटारे का पर्चा पंडोखर सरकरा के महंत गुरुशरण दास ने बनाया था. जिसमें उन्होंने हेमंत कटारे को विधायक बनने की भविष्यवाणी की है. 

रावतपुरा सरकार
भिंड जिले के लहार में रावतपुरा सरकार का मंदिर स्थित है. संत रविशंकर महाराज को रावतपुरा सरकार के नाम से प्रसिद्धि मिली है. इनके आश्रम के पास हनुमान जी का विशालकाय मंदिर है. राजनीतिक तौर पर रावतपुरा सरकार के पास मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में भी इनका असर है. हर बड़ी पार्टी का छोटा-बड़ा नेता यहां कभी न कभी नतमस्तक होकर गया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो अपने पत्नी साधना सिंह के साथ भी इनसे आशीर्वाद लिए हैं. 

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