DNA: क्या है विरासत की राजनीति? कांग्रेस के Inheritance tax के मायने समझ लीजिए
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DNA: क्या है विरासत की राजनीति? कांग्रेस के Inheritance tax के मायने समझ लीजिए

Congress News: देशभर में चर्चा है कि क्या कांग्रेस का इरादा सत्ता में आने पर inheritance tax लगाने का है? यानी जो आपकी विरासत है, उसका 55 परसेंट आपके दुनिया से जाने के बाद देश की अमानत हो जाएगा? क्या है इस बात में पूरी सच्चाई.

DNA: क्या है विरासत की राजनीति? कांग्रेस के Inheritance tax के मायने समझ लीजिए

Inheritance tax Of Congress: देश में इन दिनों विरासत की सियासत पर बात चल रही है. विरासत, यानी वो चीज़ें जो आपको अपने पुरखों से मिली हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं. फिर चाहे वो पुश्तैनी रवायत हो या फिर सियासत हो . अब आपकी विरासत पर कांग्रेस टैक्स लगाएगी या नहीं . ये तो हम नहीं कह सकते . लेकिन हम ये जरूर कह सकते हैं कि नेहरु-गांधी परिवार की राजनीतिक विरासत पर कोई Inheritance Tax नहीं लगने जा रहा है . हम ये इसलिए कह रहे हैं क्योंकि रायबरेली और अमेठी की सीट को नेहरू-गांधी परिवार अपनी विरासत समझता है . और तय है कि ये दोनों सियासी प्रॉपर्टी 100 प्रतिशत इसी परिवार के वारिसों को ट्रांसफ़र होंगी .

असल में ख़बर है कि राहुल गांधी एक बार फिर अमेठी से चुनाव लड़ेंगे, और रायबरेली की सोनिया गांधी वाली सीट से प्रियंका गांधी ही चुनाव में उतरेंगी . ये भी ख़बर है कि इस ऐलान और नामांकन के बीच दोनों अयोध्या जाकर राम मंदिर में रामलला के दर्शन भी करेंगे. ...फ़ैसला लगभग कन्फर्म है...घोषणा का शुभ मुहूर्त कल के बाद किसी भी घड़ी आ सकता है, क्योंकि कल शाम तक राहुल गांधी वायनाड की वोटिंग से रिलैक्स हो जाएंगे.

नेहरु-गांधी परिवार की राजनीतिक विरासत..
राहुल गांधी अमेठी से लड़े तो मुक़ाबला एक बार फिर स्मृति ईरानी से होगा. रायबरेली का ज़रूर देखना होगा, क्योंकि वहां बीजेपी खुद टिकट होल्ड करके बैठी है, कि एक बार कांग्रेस प्रियंका का नाम फ़ाइनल कर दे, तो उसी के बाद वो भी अपना ट्रंप कार्ड निकाले. 17 अप्रैल को राहुल गांधी से पूछा गया था कि क्या वो अमेठी से भी लड़ेंगे? लेकिन राहुल ने इसे बीजेपी का सवाल बताकर जवाब टाल दिया था.

पहला सवाल बीजेपी का सवाल. इसका फ़ैसला कांग्रेस की सीईसी लेगी. लेकिन आज जब यूपी में राहुल गांधी के सिटिंग पार्टनर अखिलेश यादव ने अपनी विरासती सीट कन्नौज से नामांकन भरा, तो उसके बाद संकेत कुछ इसी तरह के दिये कि हां, अब राहुल गांधी भी यूपी लौट रहे हैं, अब बीजेपी से लड़ाई में असली मज़ा आएगा. अगर राहुल और प्रियंका को अमेठी-रायबरेली से लड़ना ही है तो इसे इतना सीक्रेट क्यों रखा गया?..इसकी वजह भी बताएंगे, लेकिन उससे पहले कांग्रेस के 2 और नेताओं को सुनें जो राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के अमेठी-रायबरेली टिकट को कन्फर्म कर रहे हैं.

राहुल गांधी के अमेठी से टिकट को इतना होल्ड क्यों किया गया...
- बीजेपी का दावा है राहुल गांधी इस बार वायनाड से हारेंगे
- कांग्रेस नहीं चाहती कि राहुल के 2 जगह लड़ने से भ्रम हो
- वायनाड में संदेश न जाए कि राहुल गांधी यहां टिकेंगे नहीं
- ऐसा न लगे कि अमेठी जीतने पर राहुल वायनाड छोड़ देंगे
- ऐसे भ्रम में वायनाड में राहुल गांधी का वोट बंट सकता है

एक सवाल और है. क्या राहुल और प्रियंका के अमेठी-रायबरेली लौटने में सिर्फ 2 सीटों का लाभ छिपा है?..क्या ये विरासत बचाने का संघर्ष है? या फिर कांग्रेस इसमें कोई दूर का लाभ भी देख रही है?..इसके प्लस-माइनस समझने से पहले वो पहला संकेत पढ़िये जब गांधी परिवार ने कहा था कि- अमेठी-रायबरेली की विरासत उसी की रहेगी.

तीन महीने पहले जब सोनिया गांधी ने रायबरेली छोड़कर राजस्थान से राज्यसभा में जाना तय किया था, तभी सवाल उठे थे कि क्या गांधी परिवार ने यूपी से अपना आखिरी झंडा भी उतार लिया है?..क्योंकि यूपी में कांग्रेस के पास एकमात्र रायबरेली की सीट ही थी. तभी सोनिया गांधी ने रायबरेली के नाम तुरंत एक इमोशनल चिट्ठी लिखी, और उसमें बता दिया कि गांधी परिवार का न यूपी से रिश्ता टूटा है, न रायबरेली से. उन्होंने लिखा-
'मेरा परिवार दिल्ली में अधूरा है, वह रायबरेली आकर आप लोगों से मिलकर पूरा होता है'
और चिट्ठी के अंत में लिखा- 'मुझे पता है कि आप भी हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही संभाल लेंगे जैसे अबतक संभालते आये हैं' और इसी के बाद चर्चा में प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम आया कि रायबरेली में गांधी परिवार की विरासत को अब वो आगे लेकर जा सकती हैं.

अब एक और सवाल पर आते हैं कि राहुल गांधी का अमेठी लौटना और प्रियंका गांधी का रायबरेली बचाना...क्या ये विरासत का संघर्ष है..या कोई विकल्प ना बचने की स्थिति है?..ये सिर्फ़ दो सीटों का सवाल है या कांग्रेस ने कोई दूर की कौड़ी भी सोची है?..
अब जानिये अमेठी और रायबरेली से राहुल-प्रियंका को उतारने में क्या संदेश हैं. ये संदेश हैं कि-
कांग्रेस ने यूपी में हार नहीं मानी है, मैदान नहीं छोड़ा है
यूपी में कांग्रेस का संगठन ज़िंदा है और हताश नहीं है
नेहरू-गांधी परिवार अब भी कांग्रेस के लिये 'रामबाण' है
सहयोगी दल भी यूपी से कांग्रेस का 'पैकअप' ना समझें

लेकिन विरासत बचाने के इस फ़ैसले में कई सियासी चैलेंज भी सामने खड़े हैं, क्योंकि सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा प्रतिद्वंदी है...कांग्रेस पर वंशवाद के सवाल फिर उठ सकते है...पूछा जाएगा कि अमेठी और रायबरेली में पीढ़ियों से एक ही परिवार क्यों?..पूछा जाएगा कि क्या कांग्रेस के पास कोई और योग्य कार्यकर्ता नहीं?.. पुराने कार्यकाल के काम पूछे जाएंगे, उनका हिसाब मांगा जाएगा. ..ये भी पूछा जाएगा कि 2019 में हारने के बाद से कहां थे, क्यों नहीं आए?..और अबकी बार नहीं भागेंगे, इसकी क्या गारंटी है?

संभव है, कांग्रेस ने इसके जवाब सोच रखे होंगे...एक छोटे से ट्रेलर से अंदाज़ लगाइये कि इस लड़ाई में भाई-बहन और दो लड़कों की जोड़ी का किन सवालों से सामना होना है. अंत में ये कि.. राहुल और प्रियंका अमेठी-रायबरेली जाने से पहले अयोध्या जाते हैं, रामलला के दर्शन करते हैं..तो उसके बाद क्या कहेंगे?...समझ कहती है कि वो ये कहेंगे- हम राम के विरोधी नहीं, मोदी के विरोधी हैं, हम राम मंदिर के विरोधी नहीं, उसपर सियासत करने के विरोधी हैं. ...देखिये, इसीलिये तो आम जनता की तरह दर्शन करने आए हैं..हमारे भी रोम-रोम में राम हैं...लोग इसे कितना मानेंगे, ये लोगों पर छोड़ दीजिये.

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