DNA with Sudhir Chaudhary: गलवान झड़प की घटना कैसे बन गई भारत-चीन के संबंधों का टर्निंग पॉइंट? ऐसे निकाली ड्रैगन की हेकड़ी
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DNA with Sudhir Chaudhary: गलवान झड़प की घटना कैसे बन गई भारत-चीन के संबंधों का टर्निंग पॉइंट? ऐसे निकाली ड्रैगन की हेकड़ी

DNA on Galvan Clash Second Anniversary: दो साल पहले 15 जून 2020 को भारत-चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प दोनों देशों के संबंधों के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई है. इस घटना ने भारत के लोगों का चीन के प्रति नजरिया बिल्कुल बदलकर रख दिया है. 

DNA with Sudhir Chaudhary: गलवान झड़प की घटना कैसे बन गई भारत-चीन के संबंधों का टर्निंग पॉइंट? ऐसे निकाली ड्रैगन की हेकड़ी

DNA on Galvan Clash Second Anniversary: ठीक दो साल पहले 15 जून 2020 की शाम को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 45 वर्षों के लम्बे समय के बाद भारत और चीन (India-China) के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प (Galwan Clash) हुई थी. इस हिंसक झड़प में तब भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन (China) के 40 से ज्यादा सैनिक उस समय मारे गए थे. हालांकि चीन आज भी ये दावा करता है कि इस खूनी संघर्ष में उसके केवल चार सैनिक मारे गए थे.

गलवान की घटना कैसे बन गई टर्निंग पॉइंट?

पूरा देश जानता है कि उस दिन गलवान घाटी में क्या-क्या हुआ था. इसलिए हम आपको इस घटना के बारे में नहीं बताएंगे बल्कि हम आपको ये बताना चाहते हैं कि ये हिंसक झड़प कैसे भारत और चीन (India-China) के रिश्तों में एक बहुत बड़ा Turning Point साबित हुई. उस दिन गलवान (Galwan Clash) में हमारे शहीद सैनिकों ने जो कुछ भी किया, उससे एक नए युग की शुरुआत हुई और चीन (China) को लेकर हमारे देश में जो डर था, वो हमेशा के लिए समाप्त हो गया. 

भारतीय सेना ने खत्म कर दिया चीन का खौफ

कल्पना कीजिए, अगर उस दिन हमारी सेना और हमारे जवान गलवान में पीठ दिखा कर भाग जाते या चीन की सेना उन पर हावी हो जाती तो क्या होता. इससे 140 करोड़ भारतीयों का मनोबल टूट जाता. साथ ही चीन (China) को लेकर जो खौफ हमारे देश में पिछले 60 वर्षों से है, वो हमारे मन में और बढ़ जाता. असल में 1962 के युद्ध में जब चीन ने हमारे देश को हराया, तब से ये हार हर भारतीय के मन में एक डर की तरह बैठ गई थी.

देश के लोगों का बदल गया चीन के प्रति मूड

हमारे देश के लोगों ने मान लिया था कि हमारी सेना ना तो चीन (China) को हरा सकती है और ना ही उसका मुकाबला कर सकती है. इसके बाद कई वर्षों तक हमारे देश ने चीन का मुकाबला इसी डर के साथ किया. लेकिन गलवान में हुई हिंसक झड़प (Galwan Clash) ने देश के लोगों का मूड बदल दिया. लोगों ने ये समझा कि भारतीय सेना चीन को ना सिर्फ हरा सकती है बल्कि उसे युद्धक्षेत्र में बुरी तरह पीट भी सकती है.

सरकार की सख्ती ने निकाली ड्रैगन की हेकड़ी

इस सैन्य संघर्ष के बाद ही भारत ने पहली बार चीन (China) के खिलाफ सख्त रुख अपनाया. उसके 321 Mobile Apps पर कार्रवाई की. आर्थिक गड़बड़ी के मामले में चीन की 500 से ज्यादा कम्पनियों के खिलाफ जांच शुरू हुई. Highways बनाने के लिए जो टेंडर निकाले जाते हैं, उनमें चीन की कम्पनियों के हिस्सा लेने पर रोक लगा दी गई.

पीएम मोदी ने नहीं दी जिनपिंग को जन्मदिन की बधाई

खास बात ये है कि 15 जून को ही चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जन्मदिन होता है. वे बुधवार को 69 वर्ष के हो गए हैं. इस मौक़े पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ ने ट्वीट करके उन्हें जन्मदिन की बधाई दी है. लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसा नहीं किया है. प्रधानमंत्री मोदी गलवान की हिंसक झड़प से पहले हर साल शी जिनपिंग को उनके जन्मदिन पर बधाई जरूर देते थे. लेकिन इस घटना के बाद उन्होंने कभी चीन के राष्ट्रपति को उनके जन्मदिन पर बधाई संदेश नहीं भेजा. जिससे पता चलता है कि भारत के लिए उसका राष्ट्रहित सर्वोपरि है.

गलवान (Galwan Clash) के इन 20 शहीदों ने भारत को हिम्मत के साथ चीन के सामने सिर उठाने की प्रेरणा दी है. इसीलिए हमें इन शहीदों के बलिदान को भूलना नहीं चाहिए और हम इन शहीदों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं.

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