Lok Sabha Election 2024 Supaul Seat: 2008 में अस्तित्व में आई थी सुपौल सीट, अब चौथे चुनाव के लिए क्या बन रहे राजनीतिक समीकरण
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Lok Sabha Election 2024 Supaul Seat: 2008 में अस्तित्व में आई थी सुपौल सीट, अब चौथे चुनाव के लिए क्या बन रहे राजनीतिक समीकरण

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं इसमें से एक लोकसभा सीट सुपौल भी है. जो परिसीमन के बाद 2008 में बना और बता दें कि इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज, छतापुर शामिल है.

(फाइल फोटो)

Lok Sabha Election 2024 Supaul Seat: बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं इसमें से एक लोकसभा सीट सुपौल भी है. जो परिसीमन के बाद 2008 में बना और बता दें कि इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज, छतापुर शामिल है. इस सीट पर दो बार 2009 और 2019 में जदयू के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की तो वहीं 2014 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन जीतकर संसद पहुंची थीं.  

सुपौल के उत्तर में नेपाल है. ऐसे में यह लोकसभा क्षेत्र इस मायने में भी काफी महत्व रखता है. इसके साथ ही इसकी सीमा एक तरफ सीमांचल तो दूसरी तरफ मिथिलांचल से भी लगती है जो इसके राजनीतिक महत्व को और बढ़ा देता है. यह पहले मिथिला का हिस्सा हुआ करता था. इसे पौराणिक समय में मत्स्य क्षेत्र भी कहा जाता था. 1991 मे सुपौल को जिला बनाया गया. 

2014 में मोदी लहर के बाद भी भाजपा यहां जीत का परचम नहीं लहरा पाई थी और यह सीट रंजीत रंजन ने जीतकर कांग्रेस की झोली में डाला था. हालांकि 2019 में रंजीत रंजन यहां अपना राजनीतिक दबदबा कायम नहीं रख पाई और यह सीट जदयू ने जीत ली. 2009, 14 और 19 तीन चुनावों में अपनी किस्त आजमा चुकी रंजीत रंजन को इस सीट पर केवल एक बार 2014 में सफलता हासिल हुई. 

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इस सीट पर रंजीत रंजन के पति और जनअधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव का अच्छा खास दबदबा रहा है. इस सीट पर रंजीत रंजन को तब सफलता मिली जब भाजपा और जदयू 2014 में अलग-अलग चुनाव लड़ी. ऐसे में अभी 2024 में भी भाजपा जदयू अलग-अलग चुनाव लड़ेगी ऐसा माना जा रहा है तो इस सीट पर महागठबंधन के जिस दल को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा उसके लिए राह थोड़ी आसान होगी. 

सुपौल सीट पर यादव और मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में हैं और उनका दबदबा रहता है. वहीं ओबीसी और सुसहर मतदाता यहां के चुनाव को अपने वोट से प्रबावित करते हैं. यहां कोसी से कटाव और बाढ़ सबसे बड़ा मुद्दा है. शिक्षा और स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह काफी पिछड़ा क्षेत्र है. बाढ़ की वजह से पलायन यहां की आम समस्या है. 

 

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