अखिलेश यादव की राह पर चल रहे CM नीतीश कुमार, सुधाकर-चंद्रशेखर पर कार्रवाई के लिए क्यों अड़े हुए हैं?
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अखिलेश यादव की राह पर चल रहे CM नीतीश कुमार, सुधाकर-चंद्रशेखर पर कार्रवाई के लिए क्यों अड़े हुए हैं?

पिछले कुछ महीनों में बिहार के सत्ताधारी गठबंधन के कुछ बयानवीर नेता अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में बने हुए हैं. राजद से शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर (Chandrashekhar) और सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) तो जेडीयू (JDU) से गुलाम रसूल बलियावी (Ghulam Rasool Baliyavi).

सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव

पिछले कुछ महीनों में बिहार के सत्ताधारी गठबंधन के कुछ बयानवीर नेता अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में बने हुए हैं. राजद से शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर (Chandrashekhar) और सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) तो जेडीयू (JDU) से गुलाम रसूल बलियावी (Ghulam Rasool Baliyavi). हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी (Jitanram Manjhi) भी इन नेताओं को बराबर टक्कर दे रहे हैं. राजद (RJD) ने सुधाकर सिंह पर कार्रवाई करने की बात कही थी लेकिन अभी तक कागजों में कुछ नहीं हुआ. सुधाकर सिंह लगातार सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ आग उगल रहे थे. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी अपने विवादित बयानों पर अड़े हुए हैं. खास बात यह है कि जो जेडीयू सुधाकर सिंह और चंद्रशेखर के खिलाफ कार्रवाई पर अड़ी हुई है, वहीं जेडीयू गुलाम रसूल बलियावी को विवादित बयान देने के लिए प्रमोट कर रही है. जेडीयू ने बलियावी को राष्ट्रीय महासचिव बना दिया है, जबकि केसी त्यागी का पत्ता कट गया है. बलियावी ने पिछले दिनों एक से एक विवादित तकरीरें की थीं, जिस पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि मैं उनसे बात करूंगा. पता नहीं, दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई कि गुलाम रसूल बलियावी जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव बना दिए गए हैं.  

एक दिन पहले मंगलवार को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने अपनी टीम का ऐलान किया था. इनमें 22 राष्ट्रीय महासचिव, 7 राष्ट्रीय सचिव, 20 प्रदेश उपाध्यक्ष, 105 प्रदेश महासचिव और 114 प्रदेा सचिव के साथ 11 प्रदेश प्रवक्ता बनाए गए हैं. पार्टी ने मंगनीलाल मंडल को उपाध्यक्ष बनाया है तो हाल ही में बीजेपी से जेडीयू में लौटे राजीव रंजन को भी राष्ट्रीय महासचिव बनाया है. हालांकि पूरी टीम में केसी त्यागी कहीं भी नहीं हैं, जो राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों पर नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताते रहते हैं. वे जेडीयू के प्रवक्ता के अलावा प्रधान महासचिव भी थे. इसके अलावा गुलाम रसूल बलियावी को भी राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है. यह एक तरह से उनका प्रमोशन है. गुलाम रसूल बलियावी पिछले दिनों अपने विवादित बयानों से चर्चा में आए थे. माना जा रहा है कि मुसलमानों में ओवैसी की पार्टी कोई छाप न छोड़ पाए और राजद ही मुसलमानों की मसीहा पार्टी न बन जाए, इसलिए बलियावी को जेडीयू ने पूरी छूट दे रखी है. बलियावी के प्रमोशन को देखकर कहा जा सकता है कि उन्हें नीतीश कुमार की ओर से पूरी तरह छूट मिली हुई है. 

गुलाम रसूल बलियावी एक बार नहीं, अनेक बार विवादित बयान देते आए हैं. कभी वे बाबा रामदेव का संबंध आतंकियों से बताते रहे हैं तो कभी कहते हैं कि बाबा रामदेव भारतीय हैं ही नहीं. बाबा रामदेव को बलियावी ने जैश और लश्कर से जोड़ दिया था. इसके अलावा बलियावी ने बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री को भी ढोंगी करार दिया था. एक बार बलियावी ने शहर को कर्बला बनाने की बात कही थी और भारतीय सेना में मुसलमानों के लिए 30 फीसद आरक्षण की मांग की थी. भाजपा नेताओं का आरोप है कि बलियावी के सहारे नीतीश कुमार तुष्टिकरण की नीति पर चल रहे हैं और इसलिए बलियावी का प्रमोशन किया गया है. इस तरह नीतीश कुमार को देखें तो वे समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की राह पर चल रहे हैं. श्रीरामचरितमानस पर अखिलेश यादव और उनकी पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य की बातों से खुद को किनारा करती है पर पार्टी में उनका प्रमोशन कर महासचिव बना दिया जाता है.

ऐसे में जेडीयू और सीएम नीतीश कुमार को यह बताना चाहिए कि वे जब सुधाकर सिंह और चंद्रशेखर पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं तो फिर बलियावी का कार्रवाई के बदले प्रमोशन कहां तक जायज है. इससे क्या गुलाम रसूल बलियावी को सीएम नीतीश कुमार का मूक समर्थन नहीं माना जाना चाहिए. एक तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी सर्व धर्म समभाव की बात करती है तो दूसरी तरफ उनकी पार्टी आग उगलने वाले नेता का प्रमोशन करती है और उल्टे राजद से चंद्रशेखर और सुधाकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती है. नीतीश जी! यह डबल स्टैंडर्ड नहीं चलेगा.

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