Bihar Lok Sabha Election 2024: PM मोदी को घेरने के लिए तेजस्वी यादव आखिर क्यों हर रैली में गा रहे गाना? समझिए पूरी क्रोनोलॉजी
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Bihar Lok Sabha Election 2024: PM मोदी को घेरने के लिए तेजस्वी यादव आखिर क्यों हर रैली में गा रहे गाना? समझिए पूरी क्रोनोलॉजी

Tejashwi Yadav News: करीब तीन महीने पहले ही 'नाचने-गाने' को लेकर तेजस्वी ने बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जमकर सुनाया था और अब अपनी हर जनसभा में गाने के जरिए पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं.

तेजस्वी यादव

Tejashwi Yadav News: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव इन दिनों अपनी हर रैली में गाना गाते नजर आ रहे हैं. रांची में जेएमएम की उलगुलान रैली में तेजस्वी ने पीएम मोदी और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. यहां भी झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन की फरमाइश पर तेजस्वी को अपनी गायकी का हुनर दिखाना पड़ा. दिल्ली में आप आदमी पार्टी द्वारा आयोजित रैली में तेजस्वी ने मंच से गाना गाकर पीएम मोदी पर निशाना साधने की शुरुआत की थी और तब से यह सिलसिला अनवरत जारी है. अब सियासी गलियारों में इसकी बड़ी चर्चा हो रही है. कुछ लोग इसे तेजस्वी की सियासी मजबूरी बता रहे हैं तो कुछ लोगों के मुताबिक तेजस्वी अपने पिता लालू यादव जैसा बनने की कोशिश कर रहे हैं.

दरअसल, बिहार के पूर्व सीएम और राजद अध्यक्ष लालू यादव भी अपनी जनसभा की शुरुआत एक बहुत प्रसिद्ध गाने 'लागल लागल झुलनिया के धाक्का बलम कलकत्ता पहुंच गये...' से किया करते थे. लालू के इसी देहाती अंदाज को देखने और सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ता था. जी न्यूज बिहार-झारखंड के डिजिटल विंग के संपादक सुनील मिश्रा का कहना है कि लालू की राजनीतिक विरासत अब तेजस्वी यादव के हाथों में हैं. लिहाजा तेजस्वी भी अब कुछ ऐसा ही करते नजर आ रहे हैं.

हालांकि, करीब तीन महीने पहले ही 'नाचने-गाने' को लेकर तेजस्वी ने बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जमकर सुनाया था. दरअसल, जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़कर वापस बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तो तेजस्वी को बड़ा झटका लगा था. सीएम नीतीश कुमार ने राजद पर गड़बड़ी करने के आरोप लगाए थे. सीएम पर पलटवार करते हुए तेजस्वी ने सदन में कहा था कि कोई दिक्कत थी तो बात कर लेते. हम लोग कितना आपका सम्मान करते हैं. आपकी कोई बात टाले हैं का कभी. जितना भी रोजगार हमलोगों ने दिया, उसका नियुक्ति पत्र को आपके हाथों से ही बंटवाए थे और आपने कहा कि वहां मन नहीं लग रहा था. तो हम लोग तो काम करने के लिए साथ आए थे. आपका मन लगाने के लिए नाच-गाना तो नहीं करके दिखाते. 

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महज तीन महीने बाद ही लोकसभा चुनाव में तेजस्वी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. बता दें कि एनडीए से लगातार दो चुनावों में करारी हार का शिकस्त करना पड़ा है. 2019 में भी उनके ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था और उसमें राजद को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. मोदी लहर के आगे राजद का खाता तक नहीं खुल पाया था. खुद लालू परिवार के सदस्यों को हार का सामना करना पड़ा था. उस चुनाव में तेजस्वी के राजनीतिक भविष्य को लेकर काफी सवाल उठे थे. इसके बाद 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में भी महागठबंधन की कमान तेजस्वी के हाथों में थी. नीतीश कुमार के खिलाफ तेजस्वी अकेले मोर्चा खोले हुए थे और भारी पड़ते दिखाई दे रहे थे. उनकी सभा में उमड़ते जनसैलाब से नीतीश कुमार की सरकार जाती हुई नजर आ रही थी, लेकिन विधानसभा चुनाव के अंतिम पलों में पीएम मोदी ने मैदान में उतरकर पासा ही पलट दिया.  

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पीएम मोदी के मैदान में आने से तेजस्वी जीता-जिताया मैच हार गए थे. सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार तो मुकाबला ही पीएम मोदी से है. तेजस्वी इस बार भी अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं. उनकी जनसभा में भीड़ भी काफी आ रही है. ये भीड़ वोटबैंक में भी तब्दील होगी, इसको लेकर कहा नहीं जा सकता है. इसके लिए तेजस्वी यादव को कुछ अलग करना होगा. अलग करने के लिए ही वह अब अपने पिता को पूरी तरह से फॉलो करते हुए नजर आ रहे हैं. जैसे उनके पिता जनसभा में आए लोगों के दिल-दिमाग में छा जाते थे, तेजस्वी भी वही करना चाहते हैं. यही वजह है कि तेजस्वी अपनी हर जनसभा में गाने के जरिए पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं.

(ये लेखक के निजी विचार हैं...)

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