Chirag Paswan Letter: चिराग ने पत्र की शुरुआत प्रिय तेजस्वी यादव कहकर की. उन्होंने इसमें तेजस्वी को अपना छोटा भाई बताया है. चिराग ने लिखा कि मैंने आपको छोटा भाई और आपके परिवार को अपने परिवार की तरह माना है. दोनों परिवार में कभी फर्क नहीं किया. परंतु, आपकी सभा में आपके मंच के ठीक सामने मेरे परिवार के खिलाफ कहे गए 'अपशब्दों' से आहत हूं.
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Chirag Paswan Letter To Tejashwi Yadav: जमुई में राजद नेता तेजस्वी यादव की चुनावी सभा में लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष चिराग पासवान की मां को गाली दिए जाने पर सियासी पारा गरम है. इस घटना को लेकर एनडीए ने राजद के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इस घटना पर अब चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव को पत्र लिखा है. चिराग ने तेजस्वी से आरोपी राजद कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई करने की मांग की है. चिराग ने अपने लेटर में लिखा है कि आपकी पार्टी के समर्थकों द्वारा की गई इस हरकत से 90 के दशक के जंगलराज की यादें ताजा हो गई है. एक बेटा होने के नाते मेरे लिए अपनी मां के बारे में ऐसा शब्द सुनना कितना पीड़ादायक है, इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते.
चिराग ने पत्र की शुरुआत प्रिय तेजस्वी यादव कहकर की. उन्होंने इसमें तेजस्वी को अपना छोटा भाई बताया है. चिराग ने लिखा कि मैंने आपको छोटा भाई और आपके परिवार को अपने परिवार की तरह माना है. आपके माता-पिता राबड़ी देवी और लालू यादव को अपने माता-पिता के तुल्य माना है. दोनों परिवार में कभी फर्क नहीं किया. परंतु, आपकी सभा में आपके मंच के ठीक सामने मेरे परिवार के खिलाफ कहे गए 'अपशब्दों' से आहत हूं. उन्होंने आगे लिखा कि मैं ऐसी बातों को सार्वजनिक करने का पक्षधर कभी नहीं रहा. लेकिन, कुछ बातें जनता के बीच भी आनी जरूरी है.
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चिराग ने लिखा कि कुछ दिनों पहले जब जमुई में आप एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे तभी कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा मुझे और मेरे परिवार के लिए गाली-गलौज जैसी भाषा का प्रयोग किया गया, जो बेहद निंदनीय है. मुझे दुःख तब हुआ जब आपकी आंखों के सामने घटित इस घटना पर आप खामोश रहे. मंच के ठीक सामने पहली पंक्ति में खड़े लोग चिल्ला-चिल्लाकर मुझे और मेरी मां को गाली दे रहे थे और आप खामोशी से खड़े थे. चिराग ने आगे लिखा कि किसी भी परिवार के बारे में ऐसी भाषा का प्रयोग या ऐसी भाषा को प्रोत्साहन अनुचित है. इस मामले में नेताओं की खामोशी असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देती है.
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लोजपा (रामविलास) ने कहा कि राजनीतिक दलों के विचार अलग हो सकते हैं, मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वैमनस्य होना उचित नहीं है. आपकी पार्टी के समर्थकों द्वारा की गई इस हरकत से 90 के दशक के जंगलराज की यादें ताजा हो गई है. एक पुत्र होने के नाते मेरे लिए अपनी मां के बारे में ऐसा शब्द सुनना कितना पीड़ादायक है, इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. उन्होंने आगे लिखा कि मैं चाहता हूं कि आप अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को कड़ा संदेश दें ताकि आइंदा मेरे साथ ही नहीं, बल्कि बिहार में रह रही किसी भी मां-बहन के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जा सके. उन्होंने पत्र के अंत में लिखा है कि मेरी माताजी का अपमान करने वालों पर आप तत्काल कार्रवाई करेंगे.