India Budget 2024: इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर क्‍या है? बजट भाषण में वित्त मंत्री ने क्यों बताया बड़ा कदम
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India Budget 2024: इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर क्‍या है? बजट भाषण में वित्त मंत्री ने क्यों बताया बड़ा कदम

India-Middle East-Europe Corridor: संसद में अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर भारत और दूसरे देशों के लिए भी एक परिवर्तनकारी कदम है." 

India Budget 2024: इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर क्‍या है? बजट भाषण में वित्त मंत्री ने क्यों बताया बड़ा कदम

IMEC In Budget Speech: संसद में साल 2024-25 के लिए देश का अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Corridor) की चर्चा की. बजट भाषण में उन्होंने इस इकोनॉमिक कॉरिडोर को भारत और दूसरे देशों के लिए भी एक परिवर्तनकारी कदम बताया है.

भारत ने बीते साल दिल्ली में G20 समिट (G-20 Summit) में दुनिया के कई देशों की भागीदारी वाली इस गलियारे की घोषणा की थी. आइए, जानते हैं कि इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) क्‍या है? साथ ही इससे किस देश को कितना फायदा होगा?

G20 समिट दिल्ली में भारत ने की थी घोषणा, 8 देशों के साझे प्रोजेक्ट से दुनिया भर को फायदा

भारत ने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान बीते साल दिल्ली में G20 समिट में दुनिया में भागीदारी के कई रास्ते खोले. समिट के दौरान अलग बैठक में इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने की घोषणा इनमें से एक महत्वपूर्ण पहल मानी जाती है. भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय यूनियन सहित कुल आठ देशों के इस साझा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का फायदा इजरायल और जॉर्डन को भी मिलेगा. अनुमान है कि इस प्रोजेक्ट की लागत 20 अरब डॉलर के पार हो सकती है.

चीन के BRI को जवाब देगा मुंबई से शुरू होने वाला ये 6 हजार किलोमीटर लंबा IMEC कॉरिडोर 

भारत में मुंबई से शुरू होने वाले इस महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक गलियारे को पड़ोसी मुल्क चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का जवाब भी बताया जा रहा है. भारत, यूरोपियन यूनियन, अमेरिका और सऊदी अरब के इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर मेगा प्रोजेक्ट को ऐतिहासिक समझौता बताया गया है. बताया जा रहा है कि इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर 6 हजार किलोमीटर लंबा होगा. इसमें आधे से ज्यादा यानी 3500 किलोमीटर समुद्र मार्ग भी शामिल होगा. 

इस नए कॉरिडोर के जरिए भारत से यूरोप तक समान पहुंचने में बचेगा 40 फीसदी समय

IMEC कॉरिडोर के बनने के बाद रेल और जहाज से ही भारत से यूरोप तक पहुंचा जा सकेगा. इस नए कॉरिडोर के बनने के बाद भारत से यूरोप तक सामान पहुंचाने में अभी लगने वाले समय में करीब 40 फीसदी की बचत होगी. आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा दौर में भारत से किसी भी कार्गो को शिपिंग से जर्मनी पहुंचने में 36 दिन लगते हैं. प्रस्तावित कॉरिडोर से इसमें 14 दिन की बचत हो सकेगी. यूरोप तक सीधी पहुंच से भारत के लिए आयात-निर्यात आसान और सस्ता होगा. इसका असर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही कारोबार की बेहतरी में दिखेगा. 

पीएम मोदी का वादा- इनोवेशन और विकास का प्रतीक के रूप में उभरेगा IMEC कॉरिडोर

इस मेगा प्रोजेक्ट के एमओयू पर 9 सितंबर, 2023 को भारत के अलावा अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपियन यूनियन, इटली, फ्रांस और जर्मनी ने हस्ताक्षर किए हैं. इन सभी देशों ने इस कॉरिडोर पर काम भी शुरू कर दिया है. समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि साझा उम्मीदों और सपनों का खाका तैयार करते हुए इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर इनोवेशन और विकास का प्रतीक के रूप में उभरेगा. उन्होने उम्मीद जताई थी कि ये कॉरिडोर दुनियाभर में मानव प्रयास और एकता का गवाह बन सकता है.

साझीदार देशों के कौन-कौन से बंदरगाह रेलवे के जरिए जोड़े जाएंगे, भारत में जुड़ेंगे ये पोर्ट

इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर में साझेदार देशों के कई बड़े बंदरगाह रेलवे के जरिए आपस में जोड़े जाएंगे. इसमें भारत के पश्चिम तटों में नवी मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और गुजरात के मुंद्रा पोर्ट और कांडला पोर्ट (गुजरात) जुड़ेंगे. इसके अलावा मिडिल ईस्ट में संयुक्त अरब अमीरात में फुज़ैरा, ज़ेबेल अली और अबू धाबी के साथ सऊदी अरब में दम्मम और रास अल खैर बंदरगाह इस प्रोजेक्ट के शामिल होंगे.  

इजरायल का हाइफा बंदरगाह और यूरोप में ग्रीस का पीरियस बंदरगाह, दक्षिण इटली में मेसिना और फ्रांस में मार्सिले पोर्ट इस मेगा प्रोजेक्ट में शामिल हैं. एक रेलवे लाइन फुज़ैरा बंदरगाह (UAE) को सऊदी अरब (घुवाईफात और हराद) और जॉर्डन के माध्यम से हाइफा बंदरगाह (इज़राइल) से जोड़ेगी. भारत ने अपने पश्चिमी तटों को रेलवे से जोड़ने के लिए 3.5 लाख करोड़ रुपये का बजट तय कर दिया है.

रेलवे, शिपिंग, इलेक्ट्रिसिटी और हाई-स्पीड डेटा केबल के साथ हाइड्रोजन पाइपलाइन से लैस

इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर के दो हिस्से होंगे. इसका पहला हिस्सा ईस्टर्न कॉरिडोर भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा. वहीं, दूसरा हिस्सा या नॉर्दर्न कॉरिडोर उसके आगे खाड़ी देशों को यूरोप से जोड़ेगा. IMEC कॉरिडोर में बड़े बंदरगाहों को आपस में जोड़ने के साथ ही वहां रेलवे लाइन के साथ-साथ इलेक्ट्रिसिटी केबल, हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डेटा केबल की पहुंच भी होगी. 

इस कॉरिडोर में रेल नेटवर्क साथ शिपिंग नेटवर्क भी होगा. भारत के मुंबई से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक समुद्री रास्ता होगा. उसके बाद पूरे मिडिल ईस्ट के देशों में रेलवे नेटवर्क तैयार होगा. ये रेल नेटवर्क संयुक्त अरब अमीरात से लेकर सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल तक होगा. इसके बाद फिर दो समुद्री रास्ता होगा. पहला रास्ता इजरायल के बंदरगाह से इटली तक जाएगा और दूसरा रास्ता इजरायल से फ्रांस तक जाएगा.

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