शाहजहां शेख: ममता बनर्जी चाहती हैं CID के पास रहे, CBI से इतना डर कैसा, दोनों एजेंसियों में क्या है फर्क ये जान लीजिए
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शाहजहां शेख: ममता बनर्जी चाहती हैं CID के पास रहे, CBI से इतना डर कैसा, दोनों एजेंसियों में क्या है फर्क ये जान लीजिए

CBI & CID : केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने देश के ना जाने कितने अहम और बड़े केस सॉल्व किए हैं. गुनाह चाहे भारत के किसी कोने में हुआ हो, लोग सबसे पहले CBI जांच की मांग करते हैं. इस बीच ममता बनर्जी, संदेशखाली केस के आरोपी शेख शाहजहां की कस्टडी CBI को न देकर केस की CID जांच कराने पर अड़ी हैं.

शाहजहां शेख: ममता बनर्जी चाहती हैं CID के पास रहे, CBI से इतना डर कैसा, दोनों एजेंसियों में क्या है फर्क ये जान लीजिए

Shahjahan Sheikh Sandeshkhali: पश्चिम बंगाल का संदेशखाली इलाका सुर्खियों में है. महिलाओं के साथ हुए अत्याचारों के आरोपी शेख शाहजहां को CM ममता बनर्जी ने अपनी टीएमसी (TMC) से निष्कासित कर दिया है. बीजेपी का आरोप है कि शेख शाहजहां के गुनाहों से पर्दा न उठ सके, इसलिए दीदी उसे बचा रही हैं. वहीं संदेशखाली में ईडी (ED) के अफसरों पर हुए हमले की जांच सीबीआई (CBI) से कराने के हाईकोर्ट के आदेश को रुकवाने बंगाल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. जहां से बुधवार को ममता सरकार को झटका लगा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फौरन सुनवाई से इनकार कर दिया.

शेख शाहजहां को बचा रहीं दीदी: BJP

इससे पहले बंगाल सरकार, शाहजहां शेख को केंद्रीय एजेंसियों को सौपने से मना कर चुकी थी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई वहां कुछ ऐसा है, जो लोकसभा चुनावों से पहले बंगाल सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है. कुछ लोग इस प्रकरण को केंद्र और राज्य की तनातनी से जोड़कर देख रहे हैं. ऐसे में आईए आपको बताते हैं कि दोंनो एजेंसियों में क्या अंतर है? 

सीबीआई और सीआईडी, दो अलग-अलग सरकारी एजेंसियां हैं. दोनों को ही संगीन, पेचीदा या फिर गोपनीय स्तर वाले केस सौंपे जाते हैं. 

अपराध जांच विभाग (CID)

CID, यानी क्राइम इन्वेस्टिंगेशन डिपार्टमेंट की स्थापना अंग्रेजों ने साल 1902 में की थी. यह अलग-अलग सूबों में पुलिस के अधीन होती है. यानी हर राज्य की अलग-अलग सीआईडी होती है. जो राज्य सरकार के आदेश पर यह अपहरण, हत्या, चोरी और दंगों जैसे संगीन मामलों की जांच करती है. ममता बनर्जी संदेशखाली में हुए हर अपराध की जांच इसी एजेंसी से कराने पर अड़ी हैं, जो उनके यानी बंगाल सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है. जबकि ईडी की टीम अपने अफसरों पर हुए हमलों की सीबीआई जांच चाहती है.

सीआईडी का दायरा

इसके अलावा हाईकोर्ट के आदेश पर भी राज्य सरकार को सीआईडी से किसी मामले की जांच करानी पड़ जाती है. ये एजेंसी आपराधिक मामलों की स्वतंत्र जांच, या किसी केस की निगरानी और नियंत्रण करती है. सीआईडी की जांच एक खास अधिकारी द्वारा की जाती है, जो DIG यानी उप महानिरीक्षक रैंक का होता है. सीआईडी ​​की यूनिट में सीबी-सीआईडी, एंटी नारकोटिक्स सेल, एंटी टेररिस्ट स्क्वाड, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल, फिंगर प्रिंट ब्यूरो, लिखावट और फोटोग्राफिक ब्यूरो समेत और भी कई शाखाएं होती हैं.

सीबीआई का दायरा

सीबीआई एक केंद्रीय जांच एजेंसी है. इसका गठन 1963 में हुआ था. इसका दायरा विराट है. CBI ने बोफोर्स से लेकर तमाम बड़े घपले-घोटालों की जांच की है. ये सेंट्रल एजेंसी केंद्र सरकार के आदेश पर देश के किसी भी कोने में हुए अपराध की जांच कर सकती है. CBI खासतौर पर भ्रष्टाचार, हाईप्रोफाइल मर्डर हत्या और देश को बड़ा नुकसान पहुंचाने वाले मामलों की जांच करती है.

दोनों में अंतर

सीबीआई केंद्र सरकार या सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूरे देश में कहीं भी जांच कर सकती है. जबकि सीआईडी राज्य सरकार की जांच एजेंसी है. ऐसे में ये किसी मामले की जांच सिर्फ उस राज्य के अंदर ही कर सकती है, जहां अपराध हुआ हो. सीबीआई पर केंद्र सरकार का कंट्रोल होता है. सीबीआई के पास जो मामले आते हैं, उन्हें अक्सर केंद्र सरकार या सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट उसे सौंपते हैं. जबकि CID को मिलने वाले केस राज्य सरकार या हाईकोर्ट की ओर से सौंपे जाते हैं.

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