दिसंबर 2014 में 100 लाख करोड़ का आंकड़े टच करने के बाद शेयर बाजार फरवरी 2021 में 200 लाख करोड़ के आंकड़े पर पहुंच गया. यानी शेयर बाजार को 100 से 200 लाख करोड़ तक पहुंचने में करीब छह साल का समय लगा.
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Indian Share Market: भारतीय शेयर बाजार का मार्केट कैप दिन पर दिन बढ़ रहा है. 27 फरवरी 2024 को बंद हुए कारोबारी सत्र में स्टॉक मार्केट का कुल पूंजीकरण बढ़कर 399 लाख करोड़ के आंकड़े पर पहुंच गया है. पिछले कुछ सालों में ही इसमें जबरदस्त तेजी आई है. करीब एक महीने पहले ही जनवरी में भारतीय शेयर बाजार हांगकांग के मार्केट को पछाड़कर दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार बन गया था. उस समय हांगकांग का कुल मार्केट कैप 4.29 ट्रिलियन डॉलर था. जबकि भारत का बढ़कर 4.33 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. लेकिन क्या आपको पता है भारतीय शेयर बाजार का मार्केट कैप लगातार बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था को किस तरह फायदा मिल रहा है. आइए जानते हैं कैसे?
साल 2001 में कहां था बाजार?
1 जनवरी 2001 को भारतीय शेयर बाजार का मार्केट कैप 6.5 लाख करोड़ का मार्केट कैप था. इसके बाद इसका आकार धीरे-धीरे बढ़ा और यह दिसंबर 2014 में बढ़कर 100 लाख करोड़ के आंकड़े पर पहुंच गया. यानी 13 साल के दौरान शेयर बाजार 15 गुना बढ़ा. लेकिन इसके बाद शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी आई है. अब यह 200, 300 करोड़ के पड़ाव से होता हुआ करीब 400 लाख करोड़ के आंकड़े तक पहुंच गया है. दिसंबर 2014 के बाद अब शेयर बाजार का आकार 399 लाख करोड़ हो गया है. यानी करीब 9 साल में शेयर बाजार का मार्केट कैप चार गुना हो गया है.
कैसे बढ़ी शेयर बाजार की रफ्तार?
दिसंबर 2014 में 100 लाख करोड़ का आंकड़े टच करने के बाद शेयर बाजार फरवरी 2021 में 200 लाख करोड़ के आंकड़े पर पहुंच गया. यानी शेयर बाजार को 100 से 200 लाख करोड़ तक पहुंचने में करीब छह साल का समय लगा. इसके बाद भारतीय शेयर बाजार जुलाई 2023 में इंडियन स्टॉक मार्केट का आंकड़ा बढ़कर 300 लाख करोड़ पर पहुंच गया. यानी यहां बाजार का 100 लाख करोड़ रुपये का मार्केट कैप बढ़ने में सवा दो साल का समय लगा. इसके बाद बाजार में और तेजी आई, फरवरी में बढ़कर यह करीब 400 लाख करोड़ पर पहुंच गया है. यानी इस बार 100 लाख करोड़ बढ़ने में महज आठ महीने का समय लगा.
कंपनियों का मार्केट कैप बढ़ा
शेयर बाजार का मार्केट कैप बढ़ने से इकोनॉमी को बूस्ट मिलता है. इसका सीधा मतलब है कि कंपनियों का मूल्यांकन अधिक हो रहा है. इससे कंपनियों को पैसा जुटाने में आसानी होती है. धन जुटाना आसान हो जाता है, जिससे वे अपने व्यवसायों का विस्तार कर सकती हैं और अधिक रोजगार पैदा कर सकती हैं. दूसरा शेयर बाजार का मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों का पोर्टफोलियो मजबूत होता है.
दुनियाभर में देश की छवि में सुधार
देश के शेयर बाजार के आगे बढ़ने और मार्केट कैप सुधरने से विदेशी निवेशक आकर्षित होते हैं. इससे ग्लोबल मार्केट में देश की छवि में सुधार होता है. इससे आने वाले समय में रोजगार के मौके बढ़ते हैं. जब कंपनियां अपने कारोबार का विस्तार करती हैं तो वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देती हैं.
भरोसा बढ़ रहा
शेयर बाजार के अच्छा प्रदर्शन करने से लोगों में इकोनॉमी के प्रति विश्वास बढ़ता है. इससे निवेश बढ़ता है और इकोनॉमी को गति मिलती है. साथ ही लोग ज्यादा से ज्यादा निवेश के लिए प्रेरित होते हैं. शेयर बाजार के बढ़ने के कारण ही देश में म्युचुअल फंड का आकार तेजी से बढ़ रहा है.
भारतीय शेयर बाजार में तेजी का करण
लगातार बढ़ते रिटेल इन्वेस्टर बेस (Retail Investors) और मजबूत कॉर्पोरेट इनकम (Corporate Income) के कारण भारत का इक्विटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. विदेशी फंड के जरिये 2023 में ही भारतीय शेयर बाजार में 21 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश हुआ है. इससे बेंचमार्क इंडेक्स एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) को लगातार आठवें साल बढ़त दर्ज करने में मदद मिली.
एपल इंक का मार्केट कैप 2.82 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप है. वहीं माइक्रोसॉफ्ट का मार्केट करीब 3 ट्रिलियन डॉलर का है. दोनों कंपनियों का कुल मार्केट कैप बढ़कर करीब 5.8 ट्रिलियन डॉलर होता है. यानी इन दोनों कंपनियों का मार्केट कैप मिलाकर भारतीय शेयर बाजार से ज्यादा है.