जिस अमृतपाल पर लग चुका है NSA, दर्ज हैं कई मामले; क्या वो भी लड़ सकता है चुनाव?
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जिस अमृतपाल पर लग चुका है NSA, दर्ज हैं कई मामले; क्या वो भी लड़ सकता है चुनाव?

NSA Election: वैसे तो भारत में चुनाव लड़ने के लिए योग्यता निर्धारित करने वाले कई कानून हैं. लेकिन अमृतपाल से इस ऐलान के बाद लोगों के जेहन में यह सवाल आ रहा है कि जिस सख्स पर रासुका जैसा कानून लगा हुआ है और वह जेल में है तो क्या वह चुनाव लड़ सकता है. इसे समझ लीजिए. 

जिस अमृतपाल पर लग चुका है NSA, दर्ज हैं कई मामले; क्या वो भी लड़ सकता है चुनाव?

Amritpal Singh: अमृतपाल सिंह एक बार फिर चर्चा में है. खालिस्तान समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' संगठन का सुप्रीमो अमृतपाल सिंह का नया ऐलान सामने आया है. बताया गया कि वह पंजाब से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाला है. अमृतपाल के वकील ने उससे मिलने के बाद इस बात का ऐलान किया है कि वह चुनाव लड़ेगा. अमृतपाल पर रासुका यानि कि NSA लगा हुआ है और इस समय वह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. अमृतपाल से इस ऐलान के बाद लोगों के जेहन में कई सवाल आ रहे हैं. 

असल में सवाल यही है कि जिस सख्स पर रासुका जैसा कानून लगा हुआ है और वह जेल में है तो क्या वह चुनाव लड़ सकता है. इसे समझना जरूरी है. चर्चा है कि अमृतपाल पंजाब की खडूर साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ सकता है. वैसे तो अमृतपाल पर कई केस दर्ज हैं लेकिन रासुका दर्ज होने के बाद वह देशभर की मीडिया में चर्चा का विषय बना रहता है.

रासुका जिस पर लगी है, क्या वो चुनाव लड़ सकता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84-अ में इस बारे में विस्तृत बताया गया है कि कौन चुनाव लड़ने के योग्य है. वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, यानि कि एनएसए अथवा रासुका देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है, जो केंद्र और राज्य सरकार को किसी को भी गिरफ्तारी का आदेश देता है। क्या इन दोनों का आपस में कोई कनेक्शन है कि जिस पर रासुका लगी हो वह चुनाव नहीं लड़ सकता है. इसका जवाब ना में हैं. यानि कि वह चुनाव लड़ सकता है. 

चुनाव में दावेदारी की छूट..
इस मामले में भी वही बात सामने आती है कि 2013 में RP Act की एक धारा 62(5) के अनुसार जेल से चुनाव में दावेदारी की छूट मिल सकती है यानि कोई भी कैदी चुनाव लड़ सकता है. इस तरह रासुका वाला भी चुनाव लड़ सकता है. वैसे भी रासुका का प्रावधान यह है कि अगर सरकार को लगता कि कोई देश की सुरक्षा के लिए खतरा है तो उसे गिरफ्तार करने की शक्ति सरकार को इस क़ानून के तहत मिली हुई है. इसका मतलब यह कि शुरुआत में उस पर दोष सिद्ध नहीं हुआ हुआ है. ऐसे में वह जेल से चुनाव जरूर लड़ सकता है.

डिब्रूगढ़ जेल में बंद..
फिलहाल अमृतपाल चर्चा में है. पिछले साल फरवरी में अमृतपाल के संगठन 'वारिस पंजाब दे' से जुड़े लोगों ने अजनाला पुलिस थाने में बवाल किया था. बवाल बढ़ा तो सरकार ने कार्रवाई शुरू की. अमृतपाल के कई साथी अरेस्ट हुए लेकिन वह फरार होकर सरकार को चैलेंज करता रहा, उस पर रासुका लगा दिया गया और कुछ ही समय में उसे अरेस्ट कर लिया गया था. इस समय वह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है

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