Vikram Aur Betaal: जब हर रविवार 'विक्रम' के कंधे पर बैठे 'बेताल' को देखने के लिए टीवी के सामने बैठ जाया करते थे लोग
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Vikram Aur Betaal: जब हर रविवार 'विक्रम' के कंधे पर बैठे 'बेताल' को देखने के लिए टीवी के सामने बैठ जाया करते थे लोग

Tv Show Vikram Aur Betaal: 90 के दशक से पहले भी टीवी पर कई ऐसे शो आया करते थे, जो दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनको ज्ञान की बातें भी बताया करते थे. आज हम आपको एक ऐसे ही शो के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 1985 में आया करता था और इस शो को देखने के लिए दर्शकों टीवी के आगे जमकर बैठ जाया करते थे. 

जब हर रविवार 'विक्रम और बेताल' देखने के लिए टीवी के सामने बैठ जाया करते थे लोग

Tv Show Vikram Aur Betaal: 80 के दशक में ज्यादातर लोगों के पास टीवी नहीं हुआ करते थे, लेकिन उस दौर में भी टीवी पर ऐसे-ऐसे शो आया करते थे कि जिनको देखने के लिए लोग एक दूसरे के घर टीवी देखने जाया करते थे. उन्हीं में से एक शो था 'विक्रम और बेताल', जिसकी शुरुआत साल 1985 में हुई थी और ये दूरदर्शन पर आया करते था. हालांकि, ये शो भी एक कॉमिक बुक पर आधारित था, जिसका नाम था 'चंदामामा'. 

इस कॉमिक के दो किरदार थे 'विक्रम' और 'बेताल', जिनकी कहानी दर्शकों के सामने पेश की गई थी. ये शो हर रविवार को शाम चार बजे दूरदर्शन पर आया करता था, जिसको लेखने के लिए लोग और बच्चे अपना-अपना काम खत्म करने के बाद टीवी के आगे जमकर बैठ जाया करते थे. इस शो को दर्शकों का खूब प्यार मिला. इस शो को सबसे ज्यादा जो बात दिलचस्प बनाती थी वो थे  बेताल के सवाल और विक्रम के जवाब. 

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रामानंद सागर का 'विक्रम और बेताल'

इतना ही नहीं, शो में बेताल को राज विक्रम के कंधे पर बैठा हुआ दिया गया था. रामानंद सागर द्वारा निर्मित इस शो में अरुण गोविल, सज्जन और मूलराज राजदा जैसे कलाकार नजर आए थे. ये शो 1986 तक चला था और इसके कूल 26 एपिसोड ही आए थे. आज भी इस शो की यादें कई दर्शकों के जहन में ताजा होंगी. हालांकि, इसके बाद रामानंद सागर ने 'रामायण' बनाई, जिसमें अरुण गोविल ने भगवान राम का किरदार निभाया था और इसके बाद एक बार 1988 में शो को दोबारा टेलीकास्ट किया गया था.

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क्या था शो का टॉपिक?

बता दें, 'बेताल पचीसी' से प्रेरित होकर 'विक्रम और बेताल' को बनाया गया था, जिसे 11वीं शताब्दी के कश्मीरी कवि सोमदेव भट्ट द्वारा लिखा गया था. इसमें विक्रम एक ऋषि के कहने पर पेड़ पर टंगे एक बेताल को लाने के लिए कहते हैं. बेताल को विक्रम अपने वश में कर लेता है और उसके कंधे पर बैठ अपने साथ ले जाता है. लंबा रास्ता होने के चलते बेताल विक्रम को कहानी सुनाता है और कहता है कि वह बोलेगा नहीं, अगर वो बोला तो वो वापिस अपने पेड़ पर चला जाएगा, लेकिन वो सवाल भी पूछता है और जवाब नहीं देने पर उसका भयानक नतीजा भी बताता है. 

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