Rahul Gandhi vs Dinesh Pratap Singh: राहुल गांधी अलग-अलग राज्यों में कैंपेन कर रहे हैं लेकिन उनकी बहन प्रियंका गांधी रायबरेली की गलियों और नुक्कड़ों पर सभाएं कर रही हैं. वह लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर हैं. उधर, जातिगत समीकरणों को साध भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ जबर्दस्त फील्डिंग लगा दी है.
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Raebareli chunav: साउथ में लोकसभा चुनाव पूरा होने के बाद अब नॉर्थ में रायबरेली सबसे हॉट सीट में शामिल हो गई है. राहुल गांधी वायनाड के बाद यहां से भी चुनाव लड़ रहे हैं. सोनिया और इंदिरा गांधी की परंपरागत सीट पर प्रियंका गांधी ने प्रचार की जिम्मेदारी संभाली है. 72 घंटे पहले गृह मंत्री अमित शाह भी रैली करने आए थे. 2019 में सोनिया गांधी से हारे दिनेश प्रताप सिंह एक बार फिर भाजपा से ताल ठोक रहे हैं. क्षेत्र में जातिगत समीकरण ही कुछ ऐसा बना है जो गांधी परिवार के लिए इस बार मुश्किलें पैदा कर सकता है. वैसे भी मुकाबला एकतरफा नहीं कहा जा सकता है.
कांग्रेस की तरफ से राहुल-प्रियंका के अलावा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की भी रैलियां हो रही हैं. छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल यहां डेरा डाले हुए हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि पिछली बार जैसा अमेठी में हुआ, इस बार रायबरेली में नहीं होगा. 1952 से हुए 20 चुनावों में कांग्रेस 17 बार यहां से जीतने में कामयाब रही है. सोनिया गांधी के इस बार राज्यसभा जाने से राहुल यहां चुनाव लड़ने आए.
त्रिकोणीय मुकाबला
- अपनी मां सोनिया गांधी की सीट से चुनाव लड़ रहे राहुल गांधी के साथ कांग्रेस सपोर्टर की ताकत होगी. पारंपरिक वोटबैंक के साथ इस बार गठबंधन में सपा की पावर भी जुड़ गई है. सपा का खेमा मानकर चल रहा है कि यादव, पासी और मुस्लिम बिल्कुल एकजुट हैं और वे राहुल को वोट करेंगे.
- दूसरी तरफ भाजपा के कैंडिडेट दिनेश प्रताप सिंह हैं. वह पिछली बार तो हार गए थे लेकिन स्थानीय स्तर पर सुलभ रहने और लगातार जमीन पर दिखने से उनकी अच्छी छवि है. परिवार के कारण कुछ नाराजगी भले हो लेकिन बीजेपी के प्रधानों और बीडीसी सदस्यों का नेटवर्क उनके फेवर में महत्वपूर्ण हो सकता है.
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- ठाकुर प्रसाद यादव बसपा के टिकट पर रायबरेली से लड़ रहे हैं. करीब 23 फीसदी ओबीसी जातियों वाली इस सीट पर सपा का वोटर तो कांग्रेस को वोट कर सकता है लेकिन बसपा के यादव कैंडिडेट राहुल गांधी को झटका देते दिखाई दे रहे हैं. हां, सपा को जो वोट कांग्रेस के खाते में जा सकता था, वह यादव कैंडिडेट होने से कुछ बिखर सकता है.
ब्राह्मण, ठाकुर, दलितों को साधने की कवायद
- रायबरेली लोकसभा सीट पर 11 प्रतिशत से ज्यादा ब्राह्मण वोट हैं. पिछले दिनों जब अमित शाह आए थे तो वह सपा के विधायक मनोज पांडेय के घर पहुंच गए थे. मनोज क्षेत्र में ब्राह्मण समाज का बड़ा चेहरा माने जाते हैं. शाह के उनके घर जाने को ब्राह्मण समाज के लिए संदेश के तौर पर देखा गया. इसके अलावा वीरेंद्र तिवारी को लोकसभा प्रभारी और पीयूष मिश्रा को जिला प्रभारी बनाया गया है.
- ठाकुर समाज से दिनेश प्रताप खुद आते हैं. ऐसे में अगर भाजपा के हिसाब से सोचें तो अपर कास्ट को साधने की पूरी कवायद की गई है. जमीनी गणित को सेट करने के लिए भाजपा ने बुद्धिलाल पासी को जिला अध्यक्ष बनाया. हां, क्योंकि क्षेत्र में 34 फीसदी के करीब दलित हैं.
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- ओबीसी जातियों को साधने के लिए पूर्व जिला अध्यक्ष रामदेव पाल को लोकसभा संयोजक बनाया गया. ऊंचाहार से विधानसभा चुनाव हारे प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य को राज्यसभा भेजा गया.
बड़े मुद्दे: बढ़ती बेरोजगारी, छुट्टा जानवरों से फसलों का नुकसान, अग्निवीर स्कीम पर नाराजगी आदि.
जातीय समीकरण देखिए
करीब 18 लाख वोटरों वाली रायबरेली सीट पर दलित सबसे ज्यादा 34 फीसदी, ब्राह्मण 11, ठाकुर 9, यादव 7, कुर्मी 4, मुसलमान 6, लोधी 6 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग 23 फीसदी हैं.