Lok Sabha Chunav: ममता के 'पठान' का बाउंसर झेल पाएंगे कांग्रेस के 'चौधरी'? बहरामपुर का चुनावी समीकरण
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Lok Sabha Chunav: ममता के 'पठान' का बाउंसर झेल पाएंगे कांग्रेस के 'चौधरी'? बहरामपुर का चुनावी समीकरण

पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला है. यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी का मुकाबला क्रिकेटर से नेता बने युसुफ पठान से हैं. चौधरी ने यहां जब पहली बार जीत दर्ज की थी, तब पठान 17 साल के थे.

Lok Sabha Chunav: ममता के 'पठान' का बाउंसर झेल पाएंगे कांग्रेस के 'चौधरी'? बहरामपुर का चुनावी समीकरण

Adhir Ranjan Chowdhury Vs Yusuf Pathan: पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला है. यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी का मुकाबला क्रिकेटर से नेता बने युसुफ पठान से हैं. चौधरी ने यहां जब पहली बार जीत दर्ज की थी, तब पठान 17 साल के थे. तभी से चौधरी का यहां एक छत्र राज कायम है और वो अजेय बने हुए हैं. बंगाल की सियासी गलियों से चुनावी कमेंट्री कर रहे पॉलिटिकल पंडितों (कमेंट्रेटर्स) के मुताबिक 2024 में ममता ने पठान को उतार कर इस फाइट को दिलचस्प बना दिया है. ऐसे में इस बार बहरामपुर का मुकाबला आखिरी गेंद तक जा सकता है.

जानिए बहरामपुर का समीकरण

बेहरामपुर लोकसभा सीट पर 86% ग्रामीण मतदाता हैं. इसके 51% मतदाता मुस्लिम, 13% SC और 1% ST हैं. मुस्लिम बाहुल्य सीट होने के बावजदू अभीतक यहां से किसी मुस्लिम कैंडिडेट ने बहरामपुर की नुमाइंदगी नहीं की है. चौधरी को बीते 25 सालों में कभी भी ऐसे कैंडिडेट का सामना नहीं करना पड़ा जो यहां के समीकरणों के हिसाब से उनके लिए मुश्किल पैदा करता हो.

TMC और ममता बनर्जी अधीर रंजन चौधरी को अपना सबसे मुखर आलोचक और विरोधी कैंडिडेट मानती है. वो उन्हें ऐसा सियासी कांटा मानती है जिसकी वजह से बंगाल में इंडिया गठबंधन को परेशानी हुई. चौधरी के खिलाफ TMC के आक्रामक रुख की वजह ये भी है कि 2021 के विधानसभा में बहरामपुर लोकसभा की सात विधानसभाओं में से छह में अपेक्षित कामयाबी नहीं मिली. बीजेपी ने भी यहां से अप्रत्याशित बढ़त बनाई थी.

वहीं 2023 के पंचायत चुनावों में TMC के पास 47% वोट शेयर था, कांग्रेस 37% के साथ दूसरे स्थान पर रही. वहीं बीजेपी 14% वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर खिसक गई। लेकिन बीजेपी ने झुकने से इनकार कर दिया. आज बीजेपी शहरी और अर्ध शहरी इलाकों में हिंदू वोटों पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है. बेहरामपुर विधानसभा से बीजेपी ने बहरामपुर के स्थानीय निवासी निर्मल चंद्र साहा को मैदान में उतारा है. इससे भी चौधरी, की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 

मुस्लिम वोट कांग्रेस से छिटकेंगे?

लड़ाई कांटे की है. ऐसे में हालात को भांपते हुए चौधरी ने पहले ही बड़ा दांव चल दिया है. उन्होंने यहां की चुनावी जंग को नया आकार दे दिया है. यहां की राजनीतिक लड़ाई व्यक्तिगत लड़ाई में बदल चुकी है. उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी है कि अगर वो यहां से चुनाव हारे तो राजनीति से सन्यास ले लेंगे. एक इंटरव्यू में उन्होंने ये तक कह दिया कि वो अगर हार गए तो बहरामपुर की सड़कों में भुनी हुई मूंगफली बेच लेंगे लेकिन पॉलिटिक्स छोड़ देंगे.

चौधरी की ताकत को समझिए

चौधरी बहरामपुर में सबके सुख-दुख में खड़े रहते हैं. 25 सालों से यहां के सांसद रहे चौधरी का स्थानीय लोगों से डायरेक्ट और इमोशनल टच है. बहरामपुर में एक कहावत है कि वजह और दिक्कत कुछ भी हो मगर सभी लोग चौधरी को ही बुलाते हैं. उनका नंबर सबके पास है. भले ही आधी रात को कोई फोन करे लेकिन फौरन वहां से जवाब आता है और मदद भी मिलती है. चौधरी को लोग 'बहरामपुर का रॉबिनहुड' भी कहते हैं. पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनने से पहले वो केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. मनमोहन सिंह की UPA सरकार में वो रेल राज्य मंत्री थे. 2019 में लोक लेखा पर 17वीं लोकसभा समिति के अध्यक्ष बनाए गए थे.

2 अप्रैल 1956 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जन्मे अधीर के पिता का नाम निरंजन चौधरी है. अधीर रंजन चौधरी का विवाह सन 1987 में अर्पिता चौधरी से हुआ. उनके सियासी सफर की शुरुआत 1996 में तब हुई जब वो बंगाल से MLA चुने गए. उनके चाहने वाले उन्हें दादा कह कर बुलाते हैं.

बहरामपुर का पिछला चुनावी नतीजा

2019 के लोकसभा चुनाव में अधीर रंजन चौधरी (INC) को 5,91,106 मत मिले थे, जबकि TMC के अपूर्ब सरकार 5,10,410 मतों के साथ दूसरे नंबर पर थे. बीजेपी की कृष्णा जॉयदार तीसरे नंबर पर थीं. 

'ममता बनर्जी ने फेंका बाउंसर'

पठान को यहां से उतारकर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने TMC को ऐसा फैक्टर दिया है जो अब तक गायब था. पठान मुस्लिम हैं और उनकी स्टार पावर लोगों को खूब लुभा रही है. टीएमसी और पठान सबको बस ये समझा रहे हैं कि केवल ममता ही ऐसी नेता हैं जो कांग्रेस-लेफ्ट-राइट सब से एक साथ मुकाबला कर सकती हैं. यहां तक कि राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी (BJP) को भी टक्कर देने की ताकत रखती हैं. 

हालांकि 40 और 50 एज ग्रुप के मतदाताओं का एक बड़ा तबगा अभी भी अपने चहेते अधीरदा का समर्थक है. उसका कहना है कि ममता ने मजबूत खिलाड़ी उतारा है फिर भी दादा ही यहां से जीतेंगे. 

ध्रुवीकरण से जीतेगी बीजेपी?

अप्रैल में रामनवमी जुलूस के गुजरने के बाद मुर्शिदाबाद में सांप्रदायिक झड़पें हुईं थीं. बीजेपी के फायरब्रांड नेता और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ यहां से ममता बनर्जी और राहुल गांधी के साथ-साथ अधीर रंजन चौधरी को भी ललकार चुके हैं. वो TMC, INC (कांग्रेस) और LEFT पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए यहां और आस-पास भगवा लहराने का दावा किया था.

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