Amethi News: 'KL' को उतारकर अमेठी की पिच को गांधी परिवार ने कह दिया अलविदा? क्या कहते हैं समीकरण?
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Amethi News: 'KL' को उतारकर अमेठी की पिच को गांधी परिवार ने कह दिया अलविदा? क्या कहते हैं समीकरण?

Amethi Lok Sabha Chunav 2024: क्या गांधी- नेहरू परिवार ने अपनी पारंपरिक सीट अमेठी पर बीजेपी को वॉक ओवर दे दिया है. इस सीट पर पार्टी ने गांधी परिवार के वफादार 'KL'को टिकट दिया है, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं.

Amethi News: 'KL' को उतारकर अमेठी की पिच को गांधी परिवार ने कह दिया अलविदा? क्या कहते हैं समीकरण?

Who is KL Sharma: कांग्रेस ने आखिरकार अमेठी और रायबरेली सीट पर सस्पेंस खत्म कर दिया है. सोनिया गांधी के राज्यसभा सांसद बनने के बाद से खाली हुई नेहरू-गांधी की पारंपरिक सीट रायबरेली से अब राहुल गांधी चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने आज नामांकन भी कर दिया. वह दूसरी पारंपरिक सीट अमेठी से बहुत कम चर्चित के. एल. शर्मा को उम्मीदवार बनाया है. वे इस सीट पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी का मुकाबला करेंगे. राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसा करके गांधी परिवार ने अमेठी की पिच को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है और इसके पीछे भी कुछ समीकरण छिपे हैं. 

अमेठी- रायबरेली में गांधी परिवार के मैनेजर

के. एल. शर्मा का पूरा नाम किशोरी लाल शर्मा है. उन्हें रायबरेली और अमेठी में गांधी परिवार का मैनेजर कहा जाता है. गांधी परिवार इन दोनों लोकसभा सीटों पर जो भी चाहता था, उसे के.एल. शर्मा के जरिए ही पूरा करवाया जाता था. वे पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के भरोसेमंद लेफ्टिनेंट और मूक प्रवक्ता भी कहे जाते हैं.

कम बोलने वाले, मीडिया से दूरी

मीडिया से खास दूरी बनाए रखने वाले के. एल. शर्म को अमेठी में कड़क, कम बोलने वाले और गांधी परिवार के भरोसेमंद नेता के रूप में जाना जाता है. उनका अक्सर दिल्ली के 10 जनपथ यानी गांधी परिवार के आवास पर आना-जाना लगा रहता है हालांकि कभी भी इस बारे में मीडिया में हाईलाइट नहीं किया जाता. 

राजीव गांधी लेकर आए थे राजनीति में

के. एल. शर्मा मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं. वर्ष 1983 में राजीव गांधी की उन पर नजर पड़ी और उन्होंने उन्हें रायबरेली सीट पर काम देखने के लिए बुला लिया. इसके बाद वे रायबरेली आकर रहने लगे. वर्ष 1991 में जब राजीव गांधी की मृत्यु हुई तो वे सोनिया गांधी के बेहद खासमखास हो गए. सोनिया गांधी अपनी लोकसभा सीट पर कोई भी काम के.एल. शर्मा के जरिए ही करवाती थीं.  

क्या गांधी परिवार ने अमेठी को कह दिया अलविदा?

अब गांधी परिवार ने जब खुद अमेठी से अपनी दावेदारी न करने के फैसला किया तो अपने वफादार के.एल. शर्मा को उम्मीदवार बना दिया है. पार्टी के इस फैसले को राजनीतिक एक्सपर्ट हैरत के साथ देख रहे हैं. वे इसे अमेठी जैसी परंपरागत सीट को हमेशा के लिए अलविदा कहने का संकेत बता रहे हैं. 

परिवार को सता रहा स्मृति से हार का डर

एक्सपर्टों के मुताबिक वर्ष 2019 को छोड़कर अमेठी सीट पर गांधी परिवार लगातार जीत हासिल करता आ रहा था. ऐसे में इस बार गांधी परिवार के किसी भी सदस्य के न उतरने से साफ लग रहा है कि पार्टी को इस सीट पर स्मृति ईरानी से हार का डर सता रहा है. इसलिए अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए चुनाव में न उतरने का विकल्प चुना गया. हालांकि पार्टी इस फैसले के बारे में कुछ भी खुलकर नहीं बोल रही है.

'मैं स्मृति से कमजोर नहीं, जमकर लड़ूंगा'

पार्टी के इस फैसले के बाद के.एल. शर्मा ने दावा किया कि वे कमजोर उम्मीदवार नहीं हैं और अमेठी को स्मृति ईरानी से ज्यादा जानते हैं. उन्होंने कहा कि वे पूरी मजबूती के साथ क्षेत्र में चुनाव लड़ेंगे. यूपी की राजनीति पर निगाह रखने वाले एक्सपर्टों के मुताबिक गांधी परिवार के इस फैसले का दूर तक असर पड़ना तय है. इसका असर कोई अमेठी ही नहीं बल्कि रायबरेली समेत तमाम सीटों पर पड़ सकता है.

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