Success Story: वर्षों बाद बोर्ड के एग्जाम देना और उसमें सफलता पाना कोई छोटी बात नहीं है. माजिया की कहानी हमें सीख देती है कि एक व्यक्ति को सपने देखने और अपना जीवन बदलने का अधिकार है, भले ही उसकी सामाजिक स्थिति कुछ भी हो.
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Success Story: आपके अंदर हौसला और हिम्मत है तो आप किसी भी उम्र में सफलता हासिल कर सकते हैं. कहते हैं कि पढ़ाई करने की कोई उम्र नहीं होती. असम की एक महिला ने वर्षों बाद मैट्रिक परीक्षा पास करके इस कहावत को सही मायने में साबित कर दी. हम बात कर रहे हैं माजिया खातून की, जिन्होंने अपनी बेटी के साथ बोर्ड एग्जाम दिया और पास होकर एक मिसाल पेश की.
असम की एक 34 वर्षीय गृहिणी ने शादी के बाद पढ़ाई छोड़ने के 16 साल बाद अपनी बेटी के साथ 10वीं कक्षा की राज्य बोर्ड परीक्षा पास की. माजिया खातून बिश्वनाथ जिले के सिलामारी गांव की रहने वाली हैं. माजिया और उनकी बेटी दोनों ही सेकेंड डिवीजन में पास हुई हैं. उन्हें 10वीं बोर्ड परीक्षा में 49 फीसदी अंक और बेटी अफसाना को 52 फीसदी अंक मिले, उन्होंने स्थानीय एफए अहमद हाई स्कूल में दाखिला लिया था. जब माजिया दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देने वाली थीं, तब उनकी शादी हो गई. इसके कारण उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया था और वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाईं.
बच्चों को देना चाहती हैं हायर एजुकेशन
माजिया ने कहा कि वह आगे पढ़ाई नहीं करना चाहती है, केवल यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उसके बच्चे हायर एजुकेशन प्राप्त करें. माजिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में बताया, "मैं सिर्फ यह साबित करना चाहती थी कि मुझमें कम से कम दसवीं कक्षा पास करने की प्रतिभा है. मैं सात भाई-बहनों में से एक थी. मेरे परिवार ने मेरे लिए दूल्हा ढूंढा और 2006 में मेरी शादी हो गई.
अपनी पढ़ाई पूरी न कर पाने का दुख उनकी बातों से साफ झलकता हैं, तभी तो वह कहती हैं कि जो मेरे साथ हुआ वह फिर किसी और कि साथ न हो. वह कहती हैं, "मुझे उम्मीद है कि भविष्य में माता-पिता कम से कम तब तक इंतजार करेंगे, जब तक उनके बच्चे अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर लेते."
ऐसे बनीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
माज़िया ने कहा कि उनके कई साथी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मैट्रिक पास हैं, लेकिन उन्हें बिना योग्यता के नौकरी मिल ग,ई क्योंकि उस समय उनके गांव में ऐसे कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं थे.
वहीं, अपनी मां माजिया के बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के फैसले को लेकर अफसाना ने कहा, "किसी ने मेरी मां का मजाक नहीं उड़ाया. सभी ने हमें अपने गांव में एक उदाहरण बनने के लिए प्रोत्साहित किया, जहां दशकों पहले ग्रेजुएट मिलना मुश्किल था, अब कई हैं.". वहीं, एक मां के रूप में उदाहरण पेश करने के लिए प्रिंसिपल डालिम छेत्री ने भी माजिया की काफी सराहना की.