Alwar latest News: अलवर जिले में कठूमर उपखंड क्षेत्र के ग्राम सालवाड़ी एवं सोखर ग्राम में वर्षों से सूखे पड़े दो कुआं में अचानक पानी आने से लोगों द्वारा देखने वालों की भारी भीड़ दोनों जगह पर स्थित कुओं पर लगी हुई है.
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Alwar latest News: राजस्थान के अलवर जिले में कठूमर उपखंड क्षेत्र के ग्राम सालवाड़ी एवं सोखर ग्राम में वर्षों से सूखे पड़े दो कुआं में अचानक पानी आने से लोगों द्वारा देखने वालों की भारी भीड़ दोनों जगह पर स्थित कुओं पर लगी हुई है. मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत सालवाड़ील के कंचन का बास में जंगलों में बने एक सूखे कुएं में रविवार को जब चरवाहे अपने पशुओं को चराने गए तो दोपहर मे कुएं की मेड़ पर बैठे हुए थे.
अचानक एक पत्थर कुएं में गिर गया तो पानी की आवाज आने पर चरवाहे चौंक गए. क्योंकि वह कुआं वर्षों से सूखा पड़ा हुआ था. जिसकी सूचना चरवाहों ने कुआं मालिक और ग्राम वासियों को दी. देखते-देखते ग्रामीणों की भीड़ वहां जमा हो गई और लोग इसे ईश्वर का चमत्कार मानने लगे. वहीं ग्राम सौखर में गोविंद सैनी के खेत पर बने हुए कुएं में भी अचानक पानी आने की खबर फैलते ही कुएं पर भी तमाशवीनों की भीड़ इकट्ठा हो गई.
वहीं इसकी सूचना प्रशासन को भी दी गई है कि अचानक कुएं का पानी कैसे आया लोग इसे अंधविश्वास के तौर पर ईश्वरी चमत्कार मान रहे हैं. वहीं जलदाय विभाग के विशेषज्ञों से जब जानकारी चाहिए तो उन्होंने बताया कि अब नीचे जमीन में पानी तो है नहीं लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी पॉकेट के रूप में जमा होता रहता है. घर्षण या जमीन में कंपन होने के कारण पानी रिश्ता हुआ आसपास के कुआं में आ जाता है. लेकिन ग्रामीण इसे ईश्वरीय चमत्कार ही मान रहे हैं.
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वहीं बात करें यहीं से 35 किलोमीटर दूर लक्ष्मणगढ़ की तो एक समय था जब लक्ष्मणगढ़ के कुएं में हाथ से बाल्टी डुबोने पर पानी आ जाता था. अब कस्बे के कुआं में पानी नहीं है कस्बे के अंदर 40 से 45 कुएं हैं. इनमें एक दो को छोड़कर बाकी सभी कुएं सूख चुके हैं. यहां पर भूजल स्तर 600 फीट नीचे चला गया है. यह लक्ष्मणगढ़ कस्बा है जहां पर एक बाद बांध है, जहां पर लोग पानी को तरस रहे हैं. जो करीब 132 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से पानी आता था. अब केन भी सूख गए हैं और खेती भी मुश्किल हो रही है. 27 साल पहले 1996 में भारी बारिश के कारण यह बांध भर गया था जहां ऊपर चली थी अब पिछले 27 साल से यह बांध पानी को तरस रहा है.
इसी के दूसरे विपरीत लक्ष्मणगढ़ तहसील के रोनीजाजाट गांव की बात करें तो यहां 55 फीट पर पानी है पर वह पूरा खारा है. ग्रामीण अपने स्तर पर काफी गहराई तक बोरिंग करवा कर लाखों रुपए खर्च कर चुके हैं पर 600 से 700 फीट तक की गहराई में खारा पानी निकलता है. मीठे पानी के लिए लोग एक टैंकर का 600 रुपए देते हैं. ग्राम वासियों ने मिलकर अपने-अपने घरों में टैंक बनवाया हुआ है. जो मीठे पानी का टैंकर डलवा कर अपना काम चलाते हैं.
कनिष्क भूजल वैज्ञानिक योगेश कुमार ने बताया इस तरह बरसों बाद कुएं में पानी आने का कारण सिर्फ आसपास बने अन्य काटों में रिचार्ज होने के कारण ही आ सकता है. क्योंकि अलवर के 14 ब्लॉक सूखे पड़े हैं. देवी शक्ति मानना आमजन का काम है पर वैज्ञानिक तरीके से पानी केवल पृथ्वी में कुछ बदलाव या ऐनीकट के माध्यम से ही आ सकता है. वहीं वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक लक्ष्मण सिंह राठौड़ को अभी आए हुए 2 महीने हुए हैं. इसलिए उनको इस बारे में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने भी बताया भरतपुर, धौलपुर और अलवर की हम सर्वेक्षण का कार्य करते हैं पर इस तरह का पहला मामला संज्ञान में आया है इसको दिखाते हैं.