आज सवालों से घिरा, कभी गली की दुकान को इस शख्स ने बना दिया करोड़ों का ब्रांड, कहानी Everest मसाले की
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आज सवालों से घिरा, कभी गली की दुकान को इस शख्स ने बना दिया करोड़ों का ब्रांड, कहानी Everest मसाले की

Everest Masala Controveresy: आज मसालों के टॉप ब्रांड में शामिल एवरेस्ट (Everest Masala) भले सवालों के बीच खड़ा हो. उसपर गंभीर आरोप लगेल हो, हांगकांग और सिंगापुर ने एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों (Everest Masala) को बैन कर दिया है.

Everest Masala

Everest Masale: आज मसालों के टॉप ब्रांड में शामिल एवरेस्ट (Everest Masala) भले सवालों के बीच खड़ा हो, उस पर उंगलियां उठ रही हो. उसपर गंभीर आरोप लग रहे है. हांगकांग और सिंगापुर ने एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों (Everest Masala) को बैन कर दिया है. कंपनी पर आरोप लगे हैं कि उनके कुछ मसालों के पैकेट में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया गया है, जो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का कारण बन सकता है. इस गंभीर आरोप के बाद मसालों की खरीद-बिक्री को रोकने के लिए कहा गया है. वहीं सरकार ने भी अब जांच की बात कही है. आज भले ही एवरेस्ट मसाले पर उंगलियां उठ रही हो, लेकिन इस कंपनी ने जीरो से खुद को एवरेस्ट की ऊंचाईयों पर पहुंचाया है.  मोहल्ले की गली में एक छोटी सी दुकान चलाने वाले ने करोड़ों का ब्रांड बनाया. 

कैसे हुई एवरेस्ट मसाले की शुरुआत  

पिता की 200 स्क्वेयर फीट की मसाले की दुकान पर काम करने वाले वाडीलाल शाह (Vadilal Shah) ने देखा कि महिलाएं मसाले खरीदते समय खास कॉम्बिनेशन का ध्यान नहीं रखती हैं. उन्होंन इसी कमी को पकड़ते हुए सही मात्रा में मसालों का कॉम्बिनेशन तैयार कर उसे पैक कर  कम्पलीट मसाला तैयार करने का फैसला किया. वो चाहते थे कि पैकेट का कॉम्बिनेशन और स्वाद हमेशा एक-सा रहे. इसी आइडिया के साथ उन्होंने एवरेस्ट की शुरुआत की और कुछ ही सालों में मसाला किंग बन गए. 

पिता की दुकान को बनाया करोड़ों का ब्रांड 

वाडीलाल ने साल 1967 में  कंपनी बना ली, जिसका नाम उन्होंने एवरेस्ट मसाले (Everest Spices) रखा गया. वो खुद ब्लेंड कर मसाले तैयार करते थे. सबसे पहले उन्होंने  केसरी मिल्क मसाला तैयार किया और उसे पिता की दुकान पर बेचना शुरू किया.  लोगों को उनका ये मसाला पसंद आता. फिर उन्होंने धीरे-धीरे चाय मसाला और फिर दूसरे मसाले तैयार करना शुरू किया.  शुरुआत में उनका मसाला सिर्फ पिता के दुकान पर ही बिकता था. उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी. प्रोडक्ट तो बन चुका था, लेकिन सप्लाई में दिक्कत आ रही थी. वो जानते थे कि भारत मसालों की बड़ी मार्केट है, देशभर में पैक मसालों की डिमांड होग, लेकिन वो सप्लाई चेन को क्रैक नहीं कर पा रहे थे. उन्होंने सप्लाई बढ़ाने के लिए अपने मसाले उठाए और अलग-अलग शहर में घूमना शुरू किया. वो लोगों को मसाले की कॉम्बिनेशन के बारे में बताते थे, उन्हें एक बार खरीदने और ट्राई करने के लिए कहते. दुकानदारों को अपना मसाला रखने के लिए मनाया. इस तरह से उन्होंने देशभर में अपने मसालों की पहुंच बढ़ा दी.  

मुंबई में पहली फैक्ट्री 

धीरे-धीरे दूसरे शहरों तक उनका मसाला पहुंचने लगा. डिमांड को पूरा करने के लिए साल 1982 में उन्होंने मुंबई के विखरोली में अपनी पहली फैक्ट्री लगा दी. उन्होंने डिलर्स और स्पलायर्स को अपनी फैक्ट्री में बुलाया. उन्हें पूरे देश में एवरेस्ट मसालों को पहुंचाने की जिम्मेदारी की. मेहनत रंग लाई और लोगों को उनका मसाला पंसद आने लगा.  

हर साल 370 करोड़ से ज्यादा पैकेट की सेल   

वाडीलाल शाह की कड़ी मेहनत नजर आने लगी. सेल बढ़ने लगा. टीवी, अखबार में विज्ञापनों ने बड़ा रोल निभाया. कंपनी का सालाना टर्नओवर 2,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया. एवरेस्ट  की वेबसाइट के मुताबिक कंपनी सालभर में 370 करोड़ पैकेट्स मसाले बेचती है. एवरेस्ट चाय मसाला, गरम मसाला, चिकन मसाला, सांभर मसाला...जैसे कई वेराइटी कंपनी के पास है.  

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