अंतरिक्ष में मिला गुड़िया की मिठाई जैसा रोएंदार प्लेनट, बृहस्पति-ग्रह से है विशाल

WASP-193B इतना हल्का है कि यह पानी में आराम से तैर सकता है. यह ग्रहों के निर्माण और उनके विकास की स्टडी करने के लिए आइडल है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस एक्लोप्लेनेट की खोज पिछले साल 2023 में की गई थी. 

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : May 16, 2024, 02:03 PM IST
  • वैज्ञानिकों ने खोजा कॉटन कैंडी जैसा ग्रह
  • जूपिटर से 50 प्रतिशत बड़ा है साइज
अंतरिक्ष में मिला गुड़िया की मिठाई जैसा रोएंदार प्लेनट, बृहस्पति-ग्रह से है विशाल

नई दिल्ली: 'नेचर एस्ट्रोनॉमी' में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक एस्ट्रोनॉमर्स ने कॉटन कैंडी यानी गुड़िया के बाल जैसे हल्का और रोएंदार ग्रह की खोज की है. इस प्लेनेट का नाम WASP-193B है. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह गृह इतना रोएंदार इसलिए है क्योंकि इसके आकार के हिसाब से इसकी डेंसिटी बेहद कम है. 'नेचर एस्ट्रोनॉमी' के मुताबिक इस ग्रह में काफी ज्यादा मात्रा में हाइड्रोजन और हीलियम है. 

जूपिटर से 50 प्रतिशत बड़ा है ग्रह
एस्ट्रोनॉमर्स की ओर से खोजा गया ये प्लेनेट दूसरे नंबर का सबसे कम घनत्व वाला ग्रह है, हालांकि इसका साइज जूपिटर से 50 प्रतिशत बड़ा होने के कारण यह एक्सपर्ट्स के लिए रहस्य बना हुआ है. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के प्रमुख लेखक खालिद बरकाउई के मुताबिक यह ग्रह मूल रूप से 'सुपर रोएंदार' है क्योंकि यह ठोस पदार्थों के बदले ज्यादातर हल्की गैसों से बना है.

पानी में तैर सकता है
WASP-193B इतना हल्का है कि यह पानी में आराम से तैर सकता है. यह ग्रहों के निर्माण और उनके विकास की स्टडी करने के लिए आइडल है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस एक्लोप्लेनेट की खोज पिछले साल 2023 में की गई थी, हालांकि जमीन में दूरबीन से इसकी कंसिस्टेंसी निर्धारित करने में काफी समय और काम लगा. 

रहने लायक नहीं है ग्रह 
यह ग्रह धरती से करीब 1,200 प्रकाश वर्ष दूर मौजूद है. माना जाता है कि इसके सबसे नजदीक सूर्य की गर्मी इसके वातावरण को फुला सकती है. इस रोएंदार प्लेनेट की उत्पत्ति शोधकर्ताओं के मिल्की वे गैलक्सी में एक सुपर-अर्थ होने का खुलासा करने के कुछ दिन बाद हुई. 'NASA'की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी और 'जर्नल नेचर' में पब्लिश स्टडी के लीड ऑथर रेन्यू हू ने कहा,' भले ही यह वायुमंडल कार्बन डाइऑक्साइड या कार्बन मोनोऑक्साइड से समृद्ध है, लेकिन इसमें वॉटर वेपर और सल्फर ऑक्साइड जैसी अन्य गैसें भी हो सकती हैं.' 

रेन्यू हू के मुताबिक अभी की ऑब्जर्वेशन सटीक वायुमंडलीय संरचना का साक्ष्य नहीं दे सकते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ग्रह रहने लायक नहीं हो सकता है क्योंकि यह तरल पानी के लिए बेहद गर्म है. 

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