फतेहपुर में क्या साध्वी निरंजन ज्योति की सीट फंसी, तगड़े मतदान के बाद विपक्षी प्रत्याशी के भी चेहरे खिले
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फतेहपुर में क्या साध्वी निरंजन ज्योति की सीट फंसी, तगड़े मतदान के बाद विपक्षी प्रत्याशी के भी चेहरे खिले

Fatehpur Lok Sabha Chunav 2024: फतेहपुर संसदीय सीट पर इस बार मुकाबला कांटे का होने वाला है. इस मुकाबले में केंद्र और प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा और सपा की सीधी टक्कर है. सपा और बसपा ने फतेहपुर संसदीय सीट पर पिछड़ी जाति के एक ही समुदाय के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. 

fatehpur lok sabha Seat 2024

fatehpurLok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के तहत 14 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई, इसमें फतेहपुर भी शामिल हैं, जहां केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति मैदान में हैं. फतेहपुर में 57.40 फीसदी मतदान हुआ. सपा और बसपा ने फतेहपुर संसदीय सीट पर पिछड़ी जाति के एक ही समुदाय के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा. जबकि बीजेपी ने लगातार तीसरी बार निवर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को उम्मीदवार बनाया. अच्छी वोटिंग के बाद भाजपा और सपा में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है. 

साध्वी निरंजन ज्योति
2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव में साध्वी निरंजन ज्योति करीब दो लाख वोटों से बसपा के प्रत्याशी अफजल सिद्दकी को हराकर दिल्ली की पंचायत पहुंची थी पहली बार ही सरकार में उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री का ओहदा मिला. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने साध्वी पर ही विश्वास जताया. दूसरी बार भी उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली. अब तीसरी बार उन्हें हैट्रिक मारने के लिए बीजेपी ने पत्ते खोल दिए हैं.

सपा-नरेश उत्तम पटेल
सपा प्रत्याशी नरेश उत्तम पटेल जिले के बिंदकी तहसील के जहानाबाद के लहुरी सराय गांव के रहने वाले हैं. नरेश उत्तम पटेल कुर्मी ओबीसी वर्ग से आते हैं और मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते थे. नरेश 1989 में पहली बार  विधायक बने थे. वह 1989 से 1991 तक पहली मुलायम सरकार में मंत्री और तीन बार विधान सभा के सदस्य रहे हैं.  वह पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य और जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के भी सदस्य थे.नरेश उत्तम पांच बार विधानसभा चुनाव लड़े. नरेश उत्तम पटेल समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. 

भाजपा और बसपा से दोनों है बाहरी
 इधर, बीजेपी के टिकट पर लगातार तीसरी बार साध्वी निरंजन ज्योति चुनावी मैदान में हैं। उधर, बसपा से कानपुर के डॉक्टर मनीष सचान इस सीट पर प्रत्याशी बनाए गए हैं। संसदीय सीट पर बीजेपी और बीएसपी के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी ने नामांकन के आखिरी दिन 3 मई को स्थानीय चेहरे के रूप में नरेश उत्तम पटेल पर दांव लगाया है। इस सीट पर भाजपा और बसपा के दोनों उम्मीदवार गैर जनपद के हैं।

बसपा-मनीष सिंह सचान
बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने डॉक्टर मनीष सिंह सचान को अपना उम्मीदवार बनाया है.मनीष ने वर्ष 2010 में एमबीबीएस किया और इसके बाद घाटमपुर सीएचसी में 5 साल तक चिकित्साधिकारी के पद पर काम किया.  इस समय निजी क्षेत्र के उनके तीन से चार हास्पिटल संचालित है.  हलांकि जिले की राजनीति से मनीष का कोई सरोकार नहीं रहा, वह नया चेहरा है. बीएसपी ने वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में सपा गठबंधन में मिली सीट पर कुर्मी समाज के पूर्व विधायक सुखदेव वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा था.

फतेहपुर में समीकरण
बहुजन समाज पार्टी के पिछड़ी जाति के उम्मीदवार से जहां जातीय मतों के ध्रुवीकरण होने से सपा को इसके नुकसान होने का अंदेशा है. वहीं दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों के ही एक ही समुदाय से होने के कारण यहां वोटों का बंटवारा हो सकता है. लोकसभा 2024 के चुनाव में इस सीट पर बसपा से बाहरी उम्मीदवार होने से सपा उम्मीदवार के स्थानीय होने का उनकी जाति का समर्थन मिलने की प्रबल संभावनाएं हैं. इस सीट पर बसपा के हाथी को दलित और अल्पसंख्यक का साथ मिला तो चुनाव त्रिकोणीय होगा. इन हालातो में जहां भाजपा तीसरी बार जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाने का इतिहास रचने के लिए तैयार है.

इतिहास
गंगा के किनारे बसे इस शहर की संसदीय क्षेत्र में हमेशा कांग्रेस काबिज रही. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे हरिकिशन शास्त्री यहां से दो बार सांसद रहे हैं. साल 1989 के बाद से यहां सपा और बसपा में लड़ाई होती रही है. भाजपा को 2014 के अलावा 1993 में रामलहर के दौरान यहां सफलता मिली. पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह फतेहपुर लोकसभा से ही वर्ष 1989 में जीते थे. 

2019 में 5वें फेज में कैसी थी तस्वीर?
 2019 में भाजपा ने इन 14 सीटों में से 13 पर जीत हासिल की थी. 

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