DNA: अमेठी-रायबरेली में कब टूटेगा कांग्रेस के टिकट का तिलिस्म, राहुल-प्रियंका पर अब तक सस्पेंस क्यों?
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DNA: अमेठी-रायबरेली में कब टूटेगा कांग्रेस के टिकट का तिलिस्म, राहुल-प्रियंका पर अब तक सस्पेंस क्यों?

Lok Sabha Election 2024: शुक्रवार को अमेठी और रायबरेली में चुनाव नामांकन का आखिरी दिन है. लेकिन कांग्रेस का टिकट वाला तिलिस्म है कि टूटने का नाम नहीं ले रहा. अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस की मनोदशा सोशल मीडिया पर वायरल कुछ तस्वीरों में देखी जा सकती है.

DNA: अमेठी-रायबरेली में कब टूटेगा कांग्रेस के टिकट का तिलिस्म, राहुल-प्रियंका पर अब तक सस्पेंस क्यों?

Rahul Gandhi-Priyanka Gandhi: जिगर मुरादाबादी का एक शेर है- 'ये कह कह के हम दिल को बहला रहे हैं, वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं'. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों ये शेर संसद में राहुल गांधी के लिए पढ़ा था. तब इसमें उनका एक सटायर था. लेकिन अब सिचुएशन दूसरी है. अब ये शेर अमेठी और रायबरेली के लोग मन में पढ़ रहे हैं.

शुक्रवार को अमेठी और रायबरेली में चुनाव नामांकन का आखिरी दिन है. लेकिन कांग्रेस का टिकट वाला तिलिस्म है कि टूटने का नाम नहीं ले रहा. अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस की मनोदशा सोशल मीडिया पर वायरल कुछ तस्वीरों में देखी जा सकती है.

कार्यकर्ता देख रहे आस

वर्षों पुराने कार्यकर्ता कांग्रेस का बड़ा सा झंडा लहराकर घूम रहे हैं. कांग्रेस के पुराने-पुराने झंडाबरदार जागृत हो गये हैं. अमेठी में कांग्रेस दफ्तर के बाहर कटआउट पर कार्यकर्ताओं की भावना झलक रही है. उसपर लिखा है- राहुल बिन अमेठी सून.

रायबरेली में भी इंतजार की पिक्चर अमेठी से अलग नहीं है. कांग्रेस के 5 न्याय और 5 गारंटियों के पर्चे छपकर तैयार हैं. बंडल बंधे हुए टेबल पर रखे हैं. इनका डिस्ट्रीब्यूशन भी हो रहा है. पढ़-पढ़कर अब तो बहुत सी गारंटियां मुंहजबानी याद हो गई हैं.

कांग्रेस दफ्तर में गाड़ियां आ रही हैं, जा रही हैं. लेकिन वो नहीं आ रहे जिनका इंतज़ार है. कार्यकर्ताओं में चर्चा का एक ही सब्जेक्ट है कि इतना टाइम क्यों लग रहा है? पहले तो कभी इतना लेट नहीं हुए! पता नहीं दिल्ली में क्या चल रहा है. उन दोनों का मूड क्या है!

अटकलों का बाजार गरम

सूत्रों की खबरें, 25 अप्रैल से सरकनी शुरु हुई थीं. सरकते-सरकते 2 मई आ गई, लेकिन तय नहीं है कि राहुल गांधी अमेठी से लड़ेंगे या नहीं, प्रियंका रायबरेली से लड़ेंगी या नहीं?

राहुल गांधी आज कर्नाटक में प्रचार पर थे. वहां से उनकी कांग्रेस अध्यक्ष के साथ एक तस्वीर भी आई. लेकिन इससे अमेठी और रायबरेली वाला कोई क्लू नहीं मिला.

हां, अमेठी में परिवार के करीबी किशोरीलाल शर्मा और वकील साहब केसी कौशिक के पहुंचने से जरूर थोड़ी उम्मीद बंधी कि राहुल और प्रियंका कल जरूर आ रहे हैं. बताते हैं कि गांधी परिवार के हर नॉमिनेशन की फॉर्मेलिटी कौशिक साहब ही पूरी कराते हैं.

बीजेपी ने रायबरेली से उतारा उम्मीदवार

सोर्सेज अब भी श्योर हैं कि राहुल गांधी अमेठी से ज़रूर लड़ेंगे और शुक्रवार को नामांकन के आखिरी वक्त अमेठी में दिखाई देंगे. लेकिन प्रियंका गांधी के रायबरेली से लड़ने पर चांस फिफ्टी परसेंट से नीचे आ गए हैं. शुक्रवार को प्रियंका का यूपी के फतेहपुर में दोपहर को रोड शो भी है, इस टाइमिंग को भी जोड़ा जा रहा है. इंतजार करते-करते बीजेपी भी थक गई, और उसने आज दिनेश प्रताप सिंह को ही रायबरेली से उम्मीदवार घोषित कर दिया. पिछली बार भी दिनेश प्रताप सिंह ही थे, लेकिन सोनिया गांधी से हार गए थे.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, हम तो चाहते हैं कि राहुल जी अमेठी से लड़े और प्रियंका जी रायबरेली से लड़ें. हमारे तीन बड़े स्टार प्रचारक हैं राहुल प्रियंका खरगे जी. अब ये उनका निर्णय होगा कि वो लड़ेंगे या नहीं. राहुल जी ने कहा था कि जो CEC कहेगा वो हम करेंगे. CEC ने पूरा अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष को दे दिया है। बातचीत हो रही है, विचार-विमर्श हो रहा है.

कुछ चीज़ें हैं जिनके जवाब खुद कांग्रेस कार्यकर्ता भी ढूंढ रहे हैं. वो ये कि जब अमेठी के कार्यकर्ता, यूपी की कांग्रेस कमेटी, दिल्ली में बैठे बड़े नेता सब चाहते हैं कि राहुल गांधी अमेठी से लड़ें तो फिर If & But कहां हैं? जयराम रमेश कह रहे है कि CEC ने फ़ैसला बता दिया है, तो फिर राहुल क्यों रुके हुए हैं.

टक्कर को हल्के में नहीं ले सकती कांग्रेस

उन्होंने तो कहा था कि CEC तय करेगी. क्योंकि कल पर्चा भराता है तब जाकर 15 दिन ही प्रचार के लिये बचेंगे. कांग्रेस इस टक्कर को हल्के में भी नहीं ले सकती क्योंकि सामने तीसरी बार स्मृति ईरानी होंगी. स्मृति ईरानी का अमेठी कनेक्शन अब 10 साल का हो चुका है और ज़मीन को मजबूत करने के लिये वो दिन-रात अमेठी में बनी हुई हैं. स्मृति ईरानी का ये फील्ड वर्क इस रिपोर्ट से समझिए.

स्मृति कैंपेन तो कह रही हैं कि अमेठी मेरी है और मुझसे मेरी अमेठी कोई नहीं छीन सकता. कोई गांधी नहीं, न राहुल गांधी, न प्रियंका गांधी. वाड्रा आ जाए या कोई और आ जाए....यहां हारेगा.

ये अमेठी में स्मृति ईरानी का कॉन्फिडेंस लेवल है, जो अमेठी की तीसरी लड़ाई में पहले से ज़्यादा हाई है, पीक पर है. स्मृति ईरानी हर नए दिन के साथ अमेठी से अपने कनेक्शन को और मज़बूत कर रही हैं. लोगों के बीच उनके हर कार्यक्रम में जा रही हैं.  पूजा पाठ में शामिल हो रही हैं. खासकर महिलाओं से मिल रही हैं, और उनसे जीत का आशीर्वाद ले रही हैं. इसका असर देखिये, उनके समर्थक कह रहे हैं कि किसी सांसद का ऐसा लोकल टच उन्होंने 2019 से पहले 10 साल में नहीं देखा, जो पिछले 5 साल में देखा है.

अमेठी में स्मृति ईरानी ने बनवा लिया घर

स्मृति ईरानी ने जब 2014 का चुनाव लड़ा, तब अमेठी उनके लिए नई थी. वो एक लाख वोटों से चुनाव हारीं. लेकिन अमेठी से रिश्ता नहीं तोड़ा. नतीजा 2019 में राहुल गांधी को 52 हज़ार वोटों से हराकर संसद पहुंचीं.

वो 5 साल जमीन बनाने में गए, तो पिछले 5 साल इसी ज़मीन को मजबूत करने में गए. अमेठी की ज़मीन पकड़ने के लिये उन्होंने अमेठी में अपना घर भी बना लिया है. इस बार नामांकन में अपने अमेठी के घर का ही पता दिया है.

स्मृति ईरानी का कैंपेन सुबह से रात तक चल रहा है. दिनभर की बैठकों और रैलियों के बाद वो शाम में स्कूटी पर अमेठी के बाज़ारों में निकल जाती हैं. अब पूछें कि स्मृति ईरानी के फेवर में क्या चीज़ें जाती हैं?..तो उनके पास गिनाने के लिये 5 साल के काम हैं. साथ ही पूछने के लिये ये भी है कि राहुल गांधी 2019 में हारने के बाद 3 बार ही अमेठी क्यों आए?

यही नहीं, अमेठी में राहुल गांधी से तीसरा बार सामना होता है, तो स्मृति ईरानी के पास परिवारवाद का हथियार भी तैयार है. 2019 से पहले ही एक लंबी लिस्ट भी बीजेपी ने बना रखी है, ताकि राहुल गांधी के आने पर पूछ सके कि अभी की गारंटी बाद में...पहले पुराने हिसाब तो दो.

इस ख़बर के अंत में ये और बता दें कि शुक्रवार को कांग्रेस ने अमेठी में नॉमिनेशन के लिए डेढ़ सौ बाइक की परमिशन मांगी है. अब डेढ़ सौ बाइक के साथ रोड शो होगा, तो नॉमिनेशन करने वाला कौन होगा? इसका आप भी अनुमान लगाइये, आपके भी अपने सूत्र तो होंगे ही.

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