बनारस की ये तवायफ थी रियल लाइफ की 'बिब्बोजान', जिससे खुद गांधी जी ने मांगी थी मदद

Heeramandi: संजय लीला भंसाली की हालिया वेब सीरीज हीरामंडी इन दिनों काफी चर्चा में है. सीरीज में एक्ट्रेसेस तवायफों के किरदार से ऑडियंस का दिल जीत रहीं हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक तवायफ की सच्ची कहानी बताने वाले हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया.   

Written by - Anu Singh | Last Updated : May 13, 2024, 03:23 PM IST
    • वो तवायफ जिसने ब्रिटिश राज के दौरान की गांधी जी मदद
    • हीरामंडी में 'बिब्बोजान' के किरदार से मेल खाती है कहानी
बनारस की ये तवायफ थी रियल लाइफ की 'बिब्बोजान', जिससे खुद गांधी जी ने मांगी थी मदद

नई दिल्ली: Heeramandi: संजय लीला भंसाली की पीरियड ड्रामा वेब सीरीज 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई है. भंसाली ने तवायफों की कहानी को शानदार तरीके से दर्शकों के सामने रखा है. सीरीज से बॉलीवुड की कई एक्ट्रेसेस ने अपने अभिनय से सबको हैरान कर दिया है. सीरीज की जहां एक तरफ तारीफ हो रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इसकी आलोचना भी कर रहे हैं. 

ब्रिटिश राज के खिलाफ उठाई आवाज 

आज हम आपको एक ऐसी वेश्या की कहानी बता रहे हैं, जिसने 'हीरामंडी' की एक तवायफ बिब्बोजान (अदिति राव हैदरी) की तरह ही ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज उठा रहे लोगों की मदद की थी. 'हीरामंडी' में दिखाया गया है कि कैसे 'बिब्बोजान' (अदिति राव हैदरी) ने स्वतंत्रता सेनानियों की आर्थिक रूप से मदद की. भले ही वो मल्लिकाजान के कोठे की एक तवायफ थीं, लेकिन वो गुप्त रूप से भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ काम करने वाले क्रांतिकारियों की मदद करती हैं. बाद में उन्हें ब्रिटिशर मौत के घाट उतार देते हैं. 

बनारस की मशहूर तवायफ गौहर जान

ऐसी ही एक तवायफ बनारस में भी थी जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में अपना योगदान दिया. ये तवायफ लाहौर नहीं बल्कि बनारस से थी जिनका नाम था गौहर जान. ये घटना साल 1920 के दशक में बनारस की है जब इस इलाके की सबसे मशहूर तवायफ गौहर जान हुआ करती थीं. उस दौरान, महात्मा गांधी, जो हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे, उन्होंने ब्रिटिश राज से लड़ने के लिए स्वराज निधि की शुरुआत की थी.
 उस दौरान गांधी की मुलाकात गौहर जान से हुई. उस दौरान गांधी जी ने गौहर जान से धन जुटाने के लिए मदद मांगी थी. 

गांधी जी ने ली थी गौहर जान से आर्थिक मदद

बाद में गौहर जान ने गांधी जी की मदद के लिए हामी तो भर दी मगर साथ ही उन्होंने इसके लिए एक शर्त रखी थी उनके डांस परफॉरमेंस में  गांधी को शामिल होना पड़ेगा. गौहर जान ने अपने वादे के अनुसार डांस परफॉर्म किया, लेकिन वहां पर गांधी पहुंचे और अपनी जगह मौलाना शौकत अली को भेज दिया. जिसके बाद नाराज ने वादे के अनुसार 24,000 रुपये जुटाने के बाद केवल 12,000 रुपये ही मौलान को दिए. उन्होंने मौलाना से कहा कि अगर वो अपने वादे को पूरा नहीं कर सकते तो मैं भी आधा पैसा ही दूंगी. इस पूरी घटना का जिक्र कथित तौर पर विक्रम संपत की पुस्तक 'माई नेम इज गौहर जान' में लिखी गई है. 

13 साल की उम्र में हुआ था बलात्कार

बता दें कि विक्रम संपत की इसी किताब में बताया गया है कि गौहर जान को मुख्य रूप से भारत की पहली करोड़पति गायिका माना जाता है, जिनके पास अपनी निजी ट्रेन थी. हालांकि, इस कामयाबी को पाना उनके लिए आसान और शानदार नहीं था. एक वेश्या की बेटी, वह एक कोठे में पली-बढ़ी और किशोरावस्था से पहले उसका यौन शोषण किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार 13 साल की उम्र में उनके साथ बलात्कार किया गया था. उनके साथ लोगों का बर्ताव भी काफी बुरा था. 1930 में 56 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई.

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