महाभारत का वो योद्धा, जो छल से अर्जुन को चक्रव्यूह से दूर ले गया और अभिमन्यु मारा गया

महाप्रतापी राजा

महाभारत में सुशर्मा त्रिगर्त देश का राजा था. वो महान योद्धा होने के साथ अर्जुन का कट्टर प्रतिद्वंदी था

द्रौपदी का स्वयंवर

सुशर्मा ने द्रोपदी के स्वयंवर में भाग लिया था, लेकिन अर्जुन के आगे उसकी एक न चली थी.

अज्ञातवास में पांडव

पांडव के अज्ञातवास में विराटनगर में छिपे होने की भनक पर दुर्योधन, शकुनि , कृपाचार्य , कर्ण और दुशासन ने त्रिगर्त राजा सुशर्मा से वहां हमला करने को कहा.

विराटनगर पर हमला

त्रिगर्तराज ने विराटनगर पर हमला किया, ताकि वहां छिपे पांडव बाहर आएं. राजा विराट की सेना में भेष बदलकर पांडव शामिल हुए।

सुशर्मा की कैद से छुड़ाया

सुशर्मा और उसके भाइयों ने राजा विराट को बंदी बना लिया । तब भीम ने बाहुबल से राजा विराट को सुशर्मा की कैद से छुड़ा लिया.

अपमान का बदला

महाभारत युद्ध के दौरान सुशर्मा ने अपने अपमान का बदला लेने की ठानी. वो अपने भाइयों और पुत्रों सहित कौरवों की ओर से लड़ा

आत्मघाती संसप्तक शक्ति

उसने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन के खिलाफ संसप्तक शक्ति का इस्तेमाल किया. इस शक्ति का मतलब है कि या तो वो शख्स अपने लक्ष्य को मारकर वापस आएगा या मरके.

चक्रव्यूह की रचना

कौरव सेनापति द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह की रचना की थी, लेकिन अर्जुन के वहां मौजूद रहते ये संभव नहीं था.

छल रचा

दुर्योधन के कहने पर युद्ध के 13 वें दिन सुशर्मा अर्जुन को छल से चक्रव्यूह से दूर ले गया और व्यस्त रखा.

अभिमन्यु का अधूरा ज्ञान

अर्जुन और कृष्ण ही चक्रव्यूह को पूरी तरह तोड़ना जानते थे. अभिमन्यु ने सिर्फ अपनी मां उत्तरा के गर्भ में रहते हुए छह द्वार तोड़ना ही सीखा था.

अर्जुन को ललकारा

वीर सुशर्मा अर्जुन को ललकारते हुए भागता है लेकिन उसके हाथों मारा जाता है. मगर तब तक काफी देर हो चुकी होती है.

भगदत्त भी मारा गया

अर्जुन सुशर्मा का वध कर युधिष्ठिर की रक्षा के लिए लौट रहा था तो राजा भगदत्त ने हाथी पर सवार होकर अर्जुन का रास्ता रोका और अपशब्द भी कहे. अर्जुन ने उसे भी मार डाला

अर्जुन आगबबूला हुए

जब अर्जुन वहां लौटे तो उन्होंने बेटे का रक्तरंजित शव देखा और वो आगबबूला हो उठे. उन्होंने तब जयद्रथ और अभिमन्यु की हत्या के अन्य दोषियों को मारने का संकल्प लिया.

डिस्क्लेमर:

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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