More Voting in Muslim Seats: इस बार लोकसभा चुनाव में वोटरों का उत्साह कुछ कम देखने को मिल रहा है. पहली बार वोट डालने बूथ पर आ रहे युवाओं में एक ऊर्जा जरूर दिख रही है. हालांकि मुस्लिम वोटर ज्यादा जागरूक और वोटर के रूप में सक्रिय हैं.
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Lok Sabha Chunav: घटते मतदान से चुनाव आयोग चिंतित है. राजनीतिशास्त्र के विशेषज्ञ शंकर शरण एक लेख में कहते हैं कि जब सत्तारूढ़ पार्टी सीटों के आंकड़ों के भी दावे करने लगे तो वोटरों के एक वर्ग में यह भाव आ सकता है कि उनका वोट व्यर्थ है. उन्होंने कहा कि कई लोकतांत्रिक देशों में कम मतदान सामान्य माना जाता है लेकिन सामान्य से ज्यादा वोटिंग होती है तो इसे जनाक्रोश से जोड़ दिया जाता है. यूरोप के देशों में सत्ताधारी नेता कम वोटिंग नहीं बल्कि ज्यादा वोटिंग से आशंकित होते हैं.
इससे इतर, अगर विश्लेषण करें तो पता चलता है कि भारत में कुछ वोटर अगर उदासीन दिख रहे हैं तो कुछ बेहद जागरूक भी हैं. जी हां, मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर जमकर वोट बरस रहे हैं. इसमें यूपी-बिहार की सीटें भी शामिल हैं.
यूपी में सहारनपुर से असम का हाल
एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोकसभा क्षेत्रों में मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है वहां बूथों पर लंबी कतारें देखी गईं. अब तक चार चरणों में कुल 379 सीटों पर वोटिंग पूरी हो चुकी है. जहां मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं, वहां वोट प्रतिशत तुलनात्मक रूप से ज्यादा पड़ा. यूपी की सहारनपुर सीट से लेकर असम की धुबड़ी और बंगाल की मुर्शिदाबाद में जमकर वोटिंग हुई है. वैसे, यह भी जान लीजिए मुस्लिम बहुल सीटों पर पहले भी वोटिंग अच्छी होती रही है. जी हां, मुस्लिम समुदाय वोट करने को लेकर काफी जागरूक रहता है.
कहां कितने प्रतिशत वोटिंग
धुबड़ी लोकसभा सीट पर 92 प्रतिशत, नौगोंग में 84 प्रतिशत, बारपेटा में 85 प्रतिशत, किशनगंज में 62 प्रतिशत, यूपी के सहारनपुर में 66 प्रतिशत, संभल में 61, बंगाल की मुर्शिदाबाद में 81, मालदा उत्तर में 76 और मालदा दक्षिण में 76 प्रतिशत वोटिंग हुई है. लक्षद्वीप में 84 प्रतिशत वोट पड़े.
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2009 की तुलना में इन मुस्लिम बहुल सीटों पर 2014 में काफी वोटिंग हुई थी. पहली बार तब पीएम नरेंद्र मोदी भाजपा के कैंडिडेट बनाए गए थे. उस साल देशभर में अच्छी वोटिंग हुई. 2014 में सबसे ज्यादा 66.40 प्रतिशत वोटिंग का रिकॉर्ड बन गया था. 2019 में नया रिकॉर्ड बना और आंकड़ा 67.1 प्रतिशत पर जा पहुंचा.
धुबरी के वोटरों ने खींची लंबी लकीर
जी हां, असम की धुबरी लोकसभा सीट के बारे में आपको जानना चाहिए. यहां मतदान का रिकॉर्ड बना है. 2014 में यहां 88 प्रतिशत, 2019 में 90 प्रतिशत वोट पड़े थे. इस बार भी चार चरणों में सबसे ज्यादा वोटिंग इसी मुस्लिम बहुल सीट पर हुई है. वैसे, असम और नॉर्थ ईस्ट में अच्छी वोटिंग होती रही है.
यूपी-बिहार की बात
यूपी में मुस्लिम आबादी करीब 20 प्रतिशत है. 20 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली 24 सीटें हैं जबकि कई सीटों पर 40-50 प्रतिशत मुस्लिम हैं. कैराना, मुजफ्फरनगर, नगीना, संभल, बिजनौर, सहारनपुर, पीलीभीत और रामपुर में मुस्लिम वोटर निर्णायक रहे हैं. हां, वोट बंटने से समीकरण अलग हो जाते हैं. इन सीटों पर आसपास की दूसरी सीटों की तुलना में ज्यादा वोटिंग हुई है. बिहार में करीब 18 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. 9 सीटें ऐसी हैं, जहां 20 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. किशनगंज हो या कटिहार, अररिया और पूर्णिया यहां 61 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई है.
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ऐसे में सवाल यह उठता है कि दावे भले ही कोई कुछ भी करे लेकिन मुस्लिम सीटों पर हुई जबर्दस्त वोटिंग क्या संदेश दे रही है? क्या यह किसी के लिए टेंशन की बात है?