Videocon Loan Case: चंदा-दीपक कोचर को मिली जमानत, कोर्ट ने कहा - कानून के मुताबिक नहीं हुई गिरफ्तारी
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Videocon Loan Case: चंदा-दीपक कोचर को मिली जमानत, कोर्ट ने कहा - कानून के मुताबिक नहीं हुई गिरफ्तारी

Videocon-ICICI Case: ICICI Bank के पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर (Chanda Kochhar) और उनके पति दीपक कोचर (Deepak Kochhar) को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay HC) ने लोन धोओखाधड़ी के मामले में सोमवार को इन दोनों लोगों को जमानत दे दी है.

 

Videocon Loan Case: चंदा-दीपक कोचर को मिली जमानत, कोर्ट ने कहा - कानून के मुताबिक नहीं हुई गिरफ्तारी

Videocon Loan Fraud Case: प्राइवेट सेक्टर के ICICI Bank के पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर (Chanda Kochhar) और उनके पति दीपक कोचर (Deepak Kochhar) को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay HC) ने लोन धोओखाधड़ी के मामले में सोमवार को इन दोनों लोगों को जमानत दे दी है. अदालत ने कहा है कि उनकी गिरफ्तारी कानून के प्रावधानों के मुताबिक नहीं की गई. 

नोटिस भेजना है जरूरी
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पी. के. चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि कोचर दंपति गिरफ्तारी कोर्ट ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CRPC) की धारा 41ए का उल्लंघन है, जिसके तहत संबंधित पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए नोटिस भेजना अनिवार्य है.

लोन धोखाधड़ी के मामले में किया था गिरफ्तार
CBI ने वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई 2022 लोन धोखाधड़ी मामले में कोचर दंपति को 23 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया था. वे अभी न्यायिक हिरासत में हैं. कोचर दंपति के अलावा CBI ने वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को भी मामले में गिरफ्तार किया है और वह भी न्यायिक हिरासत में हैं.

कानूनी प्रावधानों के तहत नहीं हुई गिरफ्तारी
अदालत ने कहा है कि तथ्यों के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं (कोचर दंपति) की गिरफ्तारी कानून के प्रावधानों के तहत नहीं की गई थी. धारा 41 (ए) का पालन नहीं किया गया और इसलिए वे रिहाई के हकदार हैं. अदालत ने कहा है कि गिरफ्तारी कानून के प्रावधानों के तहत नहीं की गई.

1-1 लाख रुपये जमा कराने के दिए आदेश
खंडपीठ ने कोचर दंपति को एक-एक लाख रुपये की जमानत राशि जमा कराने का निर्देश दिया. दंपति के वकील ने बाद में कहा कि वे रिहाई के लिए सीबीआई की अदालत में आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे. अदालत ने कहा कि दोनों को जांच में सहयोग करना चाहिए और जब भी तलब किया जाए, दोनों सीबीआई कार्यालय में पेश हों. 

पासपोर्ट जमा कराने का भी दिया निर्देश
कोचर दंपति को अपने पासपोर्ट सीबीआई के पास जमा कराने का निर्देश भी दिया गया. यह आदेश चंदा कोचर और उनके पति द्वारा, बैंक लोन मामले में सीबीआई द्वारा उन्हें गिरफ्तार किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया गया. दोनों ने अपनी याचिकाओं में कहा था कि सीबीआई की गिरफ्तारी मनमानी व अवैध है.

कोई भी महिला अधिकारी नहीं थी मौजूद
चंदा कोचर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने दलील दी कि सीआरपीएस की धारा 46 (ए) का पालन किए बिना गिरफ्तारी की गई क्योंकि चंदा कोचर की गिरफ्तारी के समय वहां कोई महिला पुलिस अधिकारी नहीं थी. धारा 46 (ए) के तहत किसी भी महिला को न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति के बिना सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.

चंदा कोचर ने हमेशा जांच में किया सहयोग
देसाई ने कहा कि चंदा कोचर की गिरफ्तारी के संबंध में पेश किए गए डॉक्युमेंट्स में किसी पुलिस महिला अधिकारी का नाम नहीं है. उन्होंने कहा कि चंदा कोचर ने हमेशा जांच में सहयोग किया है और एजेंसी ने जब भी पूछताछ के लिए उन्हें तलब किया गया वह पेश हुईं.

2019 में पहली बार दर्ज हुआ था बयान
देसाई ने अदालत को बताया कि 2019 में जब प्राथमिकी दर्ज की गई थी, तब चंदा कोचर ने अपना बयान दर्ज करवाया था. हालांकि, उस पर उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. जुलाई 2022 तक CBI ने कोई समन जारी नहीं किया और दिसंबर में सहयोग न करने के आधार पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने कहा है कि ऐसी क्या मजबूरी थी कि सीबीआई ने गिरफ्तारी के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया? वह भी सहयोग न करने के आधार पर.

कोई भी उल्लंघन नहीं किया
दीपक कोचर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने मामले की जांच में एजेंसी के साथ सहयोग किया है. हालांकि, सीबीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राज ठाकरे ने कहा कि कोचर दंपति की गिरफ्तारी में वैधानिक या संवैधानिक प्रावधानों का कोई उल्लंघन नहीं किया गया.

एजेंसी का आरोप है कि ICICI Bank ने वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, RBI के दिशानिर्देशों और बैंक की लोन नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर की थीं. इस मंजूरी के एवज में धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल स्थानांतरित की. पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट तथा एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर के ही पास था.

इनपुट - एजेंसी 

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